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डूबे कर्ज की वसूली के लिए RBI करेगा लोन डिफाल्‍टर्स की सूची तैयार : अरुण जेटली

नई दिल्‍ली। वित्‍त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि डूबे कर्ज की वसूली के लिए अब आरबीआई द्वारा डिफाल्‍टरों की सूची तैयार की जा रही है।

इस सूची में वे कर्जदार शामिल होंगे जिन पर इनसाल्‍वेंसी कानून के तहत वसूली की जाएगी। जल्‍द ही इस संबंध में कार्यवाही की जाएगी।

रिजर्व बैंक (आरबीआइ) उन कर्जदारों की सूची तैयार कर रहा है, जिनसे जुड़े फंसे कर्ज यानी एनपीए के संकट का समाधान दिवालियेपन पर नए कानून के प्रावधानों के तहत किया जाएगा।

वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि जल्द ही इस संबंध में कार्रवाई होगी। जेटली सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ सोमवार को हुई बैठक में उनके कामकाज की समीक्षा कर रहे थे।

केंद्र सरकार ने पिछले महीने ही फंसे कर्ज के मामलों के समाधान के लिए अध्यादेश जारी कर बैंकिंग नियमन कानून, 1949 में संशोधन किया था, ताकि रिजर्व बैंक को एनपीए के मामलों में और अधिक शक्तियां मिल सकें।

इस अध्यादेश के जरिये सरकार ने आरबीआइ को यह अधिकार दिया है कि वह बैंकों को एनपीए वसूलने के लिए दिवालियेपन पर नए कानून के तहत कार्रवाई शुरू करने को कह सकता है।

सरकारी बैंकों के कामकाज की समीक्षा करने के बाद वित्त मंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि नए अध्यादेश के तहत आरबीआइ वैसे कर्जदारों की सूची तैयार कर रहा है।

जिन पर फंसे कर्ज के मामलों को सुलझाने के लिए इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आइबीसी) के प्रावधानों का इस्तेमाल करना है। जल्द ही इस बारे में उपाय देखने को मिलेंगे। आरबीआइ इस पर काम कर रहा है।

कुछ बैंकों ने एनपीए अध्यादेश को जारी करने के लिए जरूरी ढांचागत व्यवस्था के बारे में आशंका भी जताई है। हालांकि उन्होंने इस संबंध में कोई ब्योरा देने से इंकार कर दिया। बैठक में मौजूद आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर एसएस मूंदड़ा ने कहा कि एनपीए पर अध्यादेश को लागू करने के लिए दो-तीन चीजों की जरूरत है।

इसके लिए सबसे पहले ओवरसाइट कमेटी का आकार और उसका दायरा स्पष्ट होना चाहिए। साथ ही उन खातों की पहचान करने की जरूरत भी है, जिन्हें सक्रियता से इस प्रक्रिया के तहत लिया जा सके। केंद्रीय बैंक ने इस संबंध में एक आतंरिक परामर्श समिति का गठन भी किया है।

बैंकों के एकीकरण के बारे में पूछे जाने पर जेटली ने कहा कि यह विषय बैठक के एजेंडे में शामिल नहीं था। हालांकि सरकार इस दिशा में सक्रियता से काम कर रही है।

आइबीसी के तहत अब तक 81 मामले दाखिल किए गए हैं। इनमें से 18 मामले कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों की ओर से शुरू किए गए हैं।

कर्ज में वृद्धि की धीमी रफ्तार के बारे में कहा कि बैंकों से जब कर्ज मांगा जा रहा है तो वे इसे उपलब्ध कराने के लिए पूरे प्रयास कर रहे हैं। यह अर्थव्यवस्था में मांग का हिस्सा है।

यह सिर्फ बैंकों से जुड़ा हुआ नहीं है। वर्ष 2016-17 में ऋण की वृद्धि मात्र 5.08 प्रतिशत रही। यह बीते छह दशक का न्यूनतम आंकड़ा है। एक साल पहले कर्ज में 10.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

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