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8 रुपये का प्याज 2 में नीलाम

प्याज की कई परतों की तरह ही मध्य प्रदेश में खाद्य वस्तुओं की पूरी सप्लाई चेन ही भ्रष्टाचार में संलिप्त दिखाई देती है. अब चाहे वो प्याज की सरकारी नीलामी हो या कारोबारियों को ट्रेन भर भर कर प्याज बेचना हो वो भी कौड़ियों के दाम पर.प्याज ना सिर्फ लोगों के खाने का अहम हिस्सा है बल्कि अतीत में ये कई सरकारों की आंखों में आंसू लाने का कारण भी बन चुका है. हालांकि मध्य प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) ने अतीत से कोई सबक नहीं लिया दिखता है.सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016-17 में मध्य प्रदेश में 32 लाख मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन हुआ. बंपर उत्पादन की खुशी किसानों के चेहरों से उस वक्त काफूर हो गई जब प्याज के दाम में धड़ाम गिरावट हुई. नाराज किसानों ने बीते महीने इसके इसके विरोध में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन भी किया.प्याज उत्पादक किसानों के विरोध से सकते में आई शिवराज सिंह चौहान सरकार ने आनन-फानन में ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य देकर 8 रुपए प्रति किलो की दर से 9 लाख टन प्याज खरीद डाला. कायदे से जो प्याज खरीदा गया उसे अधिकतम संभावित कीमत पर कारोबारियों को नीलाम किया जाना चाहिए था. लेकिन इसकी जगह हुआ ठीक उलटा,नौकरशाहों ने चंद व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए पूरी नीलामी प्रक्रिया का ही मखौल बना कर रख दिया. सरकारी खजाने को चूना लगाने का ये सारा खेल व्यापारियों से मोटी घूस वसूल कर किया गया.

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