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सांसदों को स्वयं का वेतन बढ़ाने का नहीं होना चाहिए अधिकार: वरुण गांधी

 à¤­à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ सांसद वरूण गांधी ने संसद के भीतर सांसदों की सैलरी बढ़ाने की मांग पर सवाल खड़ा कर दिया है। उनका कहना है कि पिछले एक दशक में सांसदों की सैलरी 400 प्रतिशत बढ़ी है इसके बावजूद सांसदों के काम का प्रदर्शन उनकी सैलरी के मुताबिक नहीं है। लोकसभा में देश में किसानों की समस्या और उनके खुदकुशी के मामलों का जिक्र करते हुए वरूण ने मांग उठाई कि देश के इस तरह के हालात में सांसदों को स्वयं का वेतन बढ़ाने का अधिकार नहीं होना चाहिए और इसके लिए ब्रिटेन की संसद की तर्ज पर एक बाहरी निकाय बनाया जाना चाहिए जिसमें सांसदों का हस्तक्षेप नहीं हो। भाजपा के वरुण गांधी ने शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए कहा कि राजकोष से अपने स्वयं के वित्तीय संकलन को बढ़ाने का अधिकार हथियाना हमारी प्रजातान्त्रिक नैतिकता के अनुरूप नहीं है। à¤‰à¤¨à¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि इस देश की ज्यादा से ज्यादा अच्छाई के लिए, हमें वेतन निर्धारित करने के लिहाज से सदस्यों से स्वतंत्र एक बाहरी निकाय बनाना होगा। भाजपा सांसद ने कहा कि ब्रिटेन की संसद में एक स्वतंत्र प्राधिकरण है। गैर सदस्यों का यह निकाय सरकार को सांसदों के वेतन और पेंशन के लिए सलाह देता है। जिसके लिए यह प्राधिकरण लाभार्थियों एवं जनता दोनों की सिफारिशों को संज्ञान में लेकर सिफारिशों की वैधता एव सरकार के सामथ्र्य की जांच करता है। इस तरह का तंत्र हमारे देश में नही है, यह दुखद है। à¤µà¤°à¥à¤£ गांधी के अनुसार महात्मा गांधी ने एक बार लिखा था कि मेरी राय में सांसदों और विधायकों द्वारा लिए जा रहे भत्ते उनके द्वारा राष्ट्र के लिए दी गई सेवाओं के अनुपात में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में ब्रिटेन के 13 प्रतिशत की तुलना में हमने अपने वेतन 400 प्रतिशत बढ़ाये हैं क्या हमने सही में इतनी भारी उपलब्धि अर्जित की है? जबकि हम अपने पिछले 2 दशक के प्रदर्शन पर नजर डालें तो मात्र 50 प्रतिशत विधेयक संसदीय समितियों से जांच के बाद पारित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हम सांसद लोग देश सेवा के लिए कार्यरत होते हैं, यह हमारे सपनों का भारत बनाने का एक मिशन है, इन 2 उद्देश्यों की तुलना करना सार्वजनिक जीवन के प्रति प्रतिबद्धता को गलत तरीके से समझना है।

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