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सचिन ने बताया इंडियन क्रिकेट को और रोमांचक बनाने के ये जबरदस्त आइडिया

भारत का घरेलू क्रिकेट सर्किट जब बदलाव लाने का प्रयास कर रहा है तब पूर्व इंडियन क्रिकेटर à¤¸à¤šà¤¿à¤¨ तेंदुलकर ने सुझाव दिया कि रणजी ट्रॉफी का प्रत्येक मैच दो अलग अलग पिचों पर खेला जाना चाहिए। जिससे कि विदेशी दौरों के लिए बेहतर टेस्ट टीम तैयार की जा सके। सीरीज को अधिक रोमांचक बनाने के लिए भी तेंदुलकर ने सुझाव दिया कि दोनों टीमों के बीच घरेलू और विदेशी सरजमीं के आधार पर लगातार दो सीरीज होनी चाहिए, जिससे कि अलग अलग हालात में दोनों टीमों की मजबूती का आकलन हो।

इसलिए हमारे यंग प्लेयर होते हैं विदेशों में फ्लॉप

एक ही रणजी मैच में दो पिचों का तेंदुलकर का सुझाव लोगों को हालांकि अधिक रोमांचक लगा। तेंदुलकर ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा- मैंने रणजी ट्रॉफी में तटस्थ स्थानों (इस सत्र में जिस पर परीक्षण हो रहा है) के बारे में काफी सोच विचार किया। मेरे पास एक सुझाव है। जब हम ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका जैसे स्थानों पर जाते हैं तो कूकाबूरा गेंदों से खेलते हैं जो शुरू में स्विंग करती हैं। उस युवा रणजी बल्लेबाज के बारे में सोचिए जो भारत में एसजी टेस्ट गेंद से खेलता है और इसके बाद विदेशों में उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

ऐसे इंडियन कर सकेंगे विदेश बॉलर्स का डंटकर सामना

उन्होंने कहा- ऐसा करते हैं पहली पारी कूकाबूरा गेंद से घसियाली पिचों पर कराते हैं जिससे सलामी बल्लेबाजों को चुनौती मिलेगी। यहां तक कि गेंदबाजों को मदद मिलेगी। हमारे स्पिनर भी घसियाली पिचों पर कूकाबूरा गेंद से गेंदबाजी सीखेंगे। तेंदुलकर ने कहा कि इस घसियाली पिच के साथ ही दूसरी पिच होनी चाहिए जो पूरी तरह से स्पिन के अनुकूल हो। दूसरी पारी इस पिच पर एसजी टेस्ट गेंद से खेली जानी चाहिए जिससे हमारे गेंदबाजों को स्तरीय स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ खेलने में भी मदद मिलेगी। हम विदेशी हालात में तेज गेंदबाजी को खेलने में काफी ध्यान लगाते हैं लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि स्पिन गेंदबाजी को कैसे खेलें।

कब कैसी होनी चाहिए टीम की रणनीति

उन्होंने कहा- मत भूलिए कि विदेशी टीमें भी भारत में हमारे से हार रही हैं। शायद वे अपने घरेलू मैचों में एसजी गेंदों का इस्तेमाल शुरू कर दें। तेंदुलकर ने कहा कि दो पारियां दो पिचों पर खेलने से क्यूरेटर टीम के अनुकूल पिच तैयार नहीं कर पाएंगे और साथ ही टास की भूमिका भी सीमित हो जाएगी। उन्होंने कहा- कप्तान सोचने लगेगा कि टास जीतकर उसे पहले चुनने के अधिकार से सिर्फ 10 प्रतिशत ही फायदा मिलेगा लेकिन अगर वह घसियाली पिच पर पहले गेंदबाजी चुनता है तो उसे याद रखना चाहिए कि उसे चौथी पारी में स्पिन की अनुकूल पिच पर खेलना होगा।

अनुराग ठाकुर भी रहे मौजूद

तेंदुलकर जब यह सुझाव दे रहे थे तो दर्शकों के बीच बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर भी मौजूद थे। टेस्ट क्रिकेट में घटते दर्शकों के बारे में पूछने पर तेंदुलकर ने इसके लिए लंबे प्रारूप में प्रतिद्वंद्विता की कमी और टी20 क्रिकेट को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि जब हम बड़े हो रहे थे तो सुनील गावस्कर बनाम इमरान खान, विव रिचर्डस बनाम जैफ थामसन और फिर ब्रायन लारा और ग्लेन मैकग्रा या स्टीव वा बनाम कर्टली एंब्रोस जैसी प्रतिद्वंद्विता थी। 1980 और 1990 के दशक में वेस्टइंडीज की टीम में काफी दिलचस्पी थी।

इसलिए हार रहा है इंग्लैंड

तेंदुलकर ने कहा- तब लक्ष्य वेस्टइंडीज को हराना होता था। आस्ट्रेलिया के पास शानदार खिलाड़ी थे। 9 विश्व स्तरीय और तीन से 4 खिलाड़ी मैच जिता देते थे। इस चीज की कमी है। इसका पूछने पर तेंदुलकर ने कहा कि हम 2014 में इंग्लैंड गए थे और सीरीज हार गए। अब इंग्लैंड मौजूदा सीरीज में पिछड़ रहा है और 2014 से उसने कुछ खिलाड़ी गंवा दिए हैं।

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