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निजीकरण के खिलाफ किया प्रदर्शन , शिवराज सरकार मुर्दाबाद के लगाए नारे

ग्वालियर : फूलबाग चौराहा पर सरकार को चेतावनी के साथ महाप्रदर्शन सम्पन्न हुआ संयुक्त मोर्चे का नेतृत्व एड. विश्वजीत रतौनियाँ एड. राय सिंह बौद्ध ने किया एवं मुख्य जिम्मेदारी कृष्णा कुशवाह एवं सुनील चौरसिया जी ने निभाई, आज के जन आंदोलन में ग्वालियर शहर के कई सारे संगठन सम्मलित हुए। निजीकरण देश के गरीबों बंचितो असहाय व्यक्तियों को गुलाम बनाने की अप्रत्यक्ष प्रक्रिया है, इसीलिए इस गुलामी की जंजीर निजीकरण को सरकार से बापस लेने की मांग की गई और सरकार को चेतावनी जारी की गई कि देश की सरकार संविधान विरोधी, देश विरोधी, देश के गरीब बंचित मजदूर को गुलाम बनाने का प्रतीक निजीकरण का फैसला सरकार बापस नही लेती है तो यह आंदोलन घर घर से किया जाएगा एवं देश की सड़कों से लेकर संसद तक को घेरा जाएगा, यह आंदोलन का पहला चरण है अब अगर सरकार नही मानती है तो हम सरकार के खिलाफ फिर लामबंद होंगे और शहर की सड़कों पर मार्च करेंगे एवं इस जन आंदोलन को अनिश्चितकालीन धरने आंदोलन में तब्दील करेंगे।

जिस तरह देश की संपत्तियों को देश के उंगलियों पर गिने जाने वाले कुछ चुनिंदा पूंजीपतियों के हाथों में सौंपा जा रहा है एवं देश में निजीकरण व्यवस्था से देश का मालिकाना हक़ कुछ चुनिंदा पूंजीपतियों को दिया जा रहा और देश के निम्न वर्ग को गुलाम बनाया जा रहा हम इस गुलामी एवं देश को बेचने वाली निजीकरण की प्रिक्रिया के खिलाफ हमेशा खड़े हैं। देश की अर्थव्यवस्था इस देश के गरीब मजदूर से ही चलती है इस देश का मजदूर असंगठित क्षेत्र की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है और हम इन मजदूरों को निजीकरण वाली व्यवस्था में गुलाम नही होने देंगे।

 à¤†à¤œ के जन आंदोलन प्रदर्शन में 30 से ज्यादा संगठनों ने भाग लिया था जिनके प्रमुख लोग इस प्रदर्शन में उपस्तिथ हुए थे। 

इसआंदोलन में मुख्य रूप से निम्न संगठन भागीदार बने,बेरोजगार आवाज़ के कृष्णा कुशवाह, विवेक सेवा समिति के सुनील चौरसिया, युवा क्रांति के,ओबीसी महासभा से,भीम आर्मी, राष्ट्रीय बौद्ध महासभा, राष्ट्रीय कोली महासभा, संविधान बचाओ मोर्चा,मानव अधिकार पार्टी, अम्बेडकर समन्वय समिति, अम्बेडकर सर्वोदय समिति,जन अधिकार पार्टी, भारतीय अपना अधिकार पार्टी, cpim,मुस्लिम अधिकार मंच, आम आदमी पार्टी, दलित शोषण मुक्ति मंच, आरक्षण बचाओ मोर्चा,महात्मा फुले समता परिषद, राष्ट्रीय जनहित संघर्ष पार्टी, मानव अधिकार पार्टी, मुस्लिम लीग, मजदूर संघ, बौद्ध महासभा, ऑल इंडिया बार एसोसिएशन आदि संगठनों ने अपनी एवं संगठनों के प्रमुख ने अपनी सहमति दी है।

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