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बोम्मई को CM बना भाजपा ने लिंगायत और येदियुरप्पा दोनों को साधा, पिता भी रहे हैं मुख्यमंत्री

कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने के बाद  à¤¬à¤¸à¤µà¤°à¤¾à¤œ बोम्मई ने कहा है कि उनके ऊपर बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा है कि वो गरीबों के कल्याण के लिए काम करेंगे। बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद जिस शख्स का नाम सीएम की कुर्सी के रेस में सबसे आगे था वो कोई और नहीं बल्कि बसवराज बोम्मई ही थे। बसवराज बोम्मई को राज्य की कमान सौंप कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक साथ येदियुरप्पा और लिंगायत समुदाय दोनों को ही साधने का काम किया है। बसवराज बोम्मई, येदियुरप्पा सरकार में गृहमंत्री थे और वो येदियुरप्पा के बेहद करीबी भी माने जाते हैं। यह भी बताया जाता है कि सीएम पद के लिए बसवराज बोम्मई का नाम खुद येदियुरप्पा ने ही सुझाया था। उनके नाम पर कई पार्टी विधायकों ने अपना समर्थन भी दिया था। बोम्मई के बारे में कहा जाता है कि वो बीजेपी की नीतियों को बखूबी समझते हैं और पार्टी नियमों के तहत किसी फैसले का पालन करने में कतराते नहीं हैं। जाहिर है बोम्मई को लाकर बीजेपी ने येदियुरप्पा को नाराज होने का मौका नहीं दिया है।श्री बोम्बई २८ जुलाई को अपरान्ह ३.२० बजे शुभ महूर्त में शपथ लेंगे .

28 जनवरी, 1960 को जन्मे बसवराज बोम्मई सदारा लिंगायत समुदाय से आते हैं। कर्नाटक के नये सीएम बसवराज बोम्मई के पिता एसआर बोम्मई भी कभी मुख्यमंत्री रह चुके हैं। बोम्मई के पिता एसआर बोम्मई 13 अगस्त 1988 से 21 अप्रैल 1989 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे थे। à¤•à¤°à¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• में भाजपा का मूल वोट बैंक और आधार लिंगायत समाज है और येदियुरप्पा लिंगायत के सबसे बड़े नेता। जाहिर है पहले से ही इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि कर्नाटक में भाजपा ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाएगी जिससे उसके मूलभूत बैंक लिंगायत समाज में कोई नाराजगी पैदा हो।

लिंगायत समुदाय के कई बड़े नेता तो पहले से ही साफ कर चुके थे कि अगर नये मुख्यमंत्री लिंगायत समुदाय से नहीं हुए तो बीजेपी को इसके दुष्परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। à¤•à¤°à¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• में लिंगायत समुदाय की आबादी करीब 17 फीसदी है। लिंगायत समुदाय की कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 90-100 सीटों पर निर्णायक भूमिका रही थी। ऐसे में लिंगायत समुदाय से ही आने वाले बसवराज को कर्नाटक की कुर्सी पर बैठाकर बीजेपी, लिंगायत समुदाय की नाराजगी मोल लेने से भी बच गई।बता दें कि साल 2008 में भाजपा ज्वायन करने के बाद बसवराज बोम्मई का कद पार्टी में काफी तेजी से बढ़ा। बसवराज बोम्मई एक इंजीनियर हैं और उन्होंने अपने करियर की शुरुआत टाटा ग्रुप के साथ की थी। हावेरी जिले के शिगांव से 2 बार एमएलसी और तीन बार विधायक रह चुके बसवराज बोम्मई ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत जनता दल से की थी। बोम्मई ने बीजेपी में शामिल होने से पहले एचडी देवेगौड़ा और रामकृष्ण हेगड़े सहित वरिष्ठ नेताओं के साथ काम किया है। बसवराज बोम्मई कन्नड़, हिंदी और अंग्रेजी तीनों भाषाओं में पारंगत हैं। माना जाता है कि अमित शाह से भी उनके अच्छे संबंध हैं। 

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