जिला परिषद की 9 सीटें कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ ने जीती, जानिठआखिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ गडकरी-फडणवीस के नागपà¥à¤° में BJP 3 सीटें ही जीत पाई
राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवक संघ यानी RSS का मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ नागपà¥à¤° में है। नागपà¥à¤° महानगर पालिका पर बीते 15 सालों से बीजेपी का कबà¥à¤œà¤¾ है। पिछले दो बार से नागपà¥à¤° से बीजेपी के नितिन गडकरी लोकसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ जीत रहे हैं और महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के पूरà¥à¤µ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ देवेंदà¥à¤° फडणवीस यहां से विधानसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ लड़ते हैं। नागपà¥à¤° उनका घर है।
इसके बावजूद हाल ही में आठजिला परिषद और पंचायत समिति के नतीजे बीजेपी के लिठउतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤œà¤¨à¤• नहीं हैं। नागपà¥à¤° जिले में आने वाली जिला परिषद की 16 सीटों में से 9 कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ ने जीत ली हैं। बीजेपी महज 3 सीटें जीत सकी।
जबकि 2012 से 2017 वाले कारà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में बीजेपी इसी जिला परिषद में शिवसेना के साथ बहà¥à¤®à¤¤ में रही है। पारà¥à¤Ÿà¥€ के à¤à¤• सीनियर लीडर का कहना है कि मोदी जी के जीतने के बाद जहां à¤à¥€ छोटे-बड़े चà¥à¤¨à¤¾à¤µ हà¥à¤, वहां हमें सफलता मिली, लेकिन इस बार परफॉरà¥à¤®à¥‡à¤‚स जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ही खराब हो गया।
वहीं कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾à¤“ं में उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने 9 सीटें जीत ली हैं। à¤à¤¸à¥‡ में सवाल खड़े हो रहे हैं कि जिस शहर में संघ का मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ है और जहां से बीजेपी के दो दिगà¥à¤—ज नेता नितिन गडकरी और देवेंदà¥à¤° फडणवीस आते हैं, वहां बीजेपी इतनी पिछड़ी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚। पà¥à¤¿à¤ इस रिपोरà¥à¤Ÿ में।
बड़े चेहरे कैंपेन से दूर रहे, अंदरूनी लड़ाई पारà¥à¤Ÿà¥€ को कमजोर कर रही
कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ ने इस चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में अपने मंतà¥à¤°à¥€ सà¥à¤¨à¥€à¤² केदार और नितिन राउत को पहले दिन से ही मैदान में दौड़ा रखा था। कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤°à¥€ नाना पटोले खà¥à¤¦ पूरा कैंपेन देख रहे थे। जबकि बीजेपी के दिगà¥à¤—ज नेता देवेंदà¥à¤° फडणवीस और नितिन गडकरी कैंपेन से दूर ही रहे।
बीजेपी ने चंदà¥à¤°à¤¶à¥‡à¤–र बावनकà¥à¤²à¥‡ को कैंपेन की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ सौंपी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कई रैलियां à¤à¥€ कीं, लेकिन कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ नहीं हो पाà¤à¥¤ बावनकà¥à¤²à¥‡ को खà¥à¤¦ ही विधानसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में टिकट नहीं मिला था। à¤à¤¸à¥‡ में विपकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने यह सवाल à¤à¥€ जनता के बीच उठाया कि जिसे खà¥à¤¦ ही टिकट नहीं मिला वो आप लोगों का नेतृतà¥à¤µ कहां और कैसे कर सकेगा।
सीनियर जरà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ अशोक वानखेड़े कहते हैं, बीजेपी महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° में अपने अंदरूनी à¤à¤—ड़े के कारण कमजोर हो रही है और शिवसेना-à¤à¤¨à¤¸à¥€à¤ªà¥€ और कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ की तिकड़ी ने उसकी चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को दोगà¥à¤¨à¤¾ कर दिया है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वे à¤à¤• सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥ˆà¤Ÿà¤œà¥€ के साथ मिलकर लड़ रहे हैं।
यदि महाविकास आघाड़ी इसी तरह परफॉरà¥à¤® करता रहा तो लोकसà¤à¤¾ की 48 में से 8 सीटें जीतना à¤à¥€ बीजेपी के लिठमà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² हो सकता है। पिछली बार बीजेपी का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ अचà¥à¤›à¤¾ था, लेकिन तब बीजेपी और शिवसेना साथ-साथ थे। इस बार à¤à¤¸à¤¾ नहीं है। अà¤à¥€ जो लोकल बॉडीज के नतीजे आठहैं, उससे लोगों का रà¥à¤à¤¾à¤¨ पता चलता है।
नितिन गडकरी और देवेंदà¥à¤° फडणवीस के नागपà¥à¤° में à¤à¥€ बीजेपी का अचà¥à¤›à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ न कर पाना उसके लिठà¤à¤• वॉरà¥à¤¨à¤¿à¤‚ग की तरह है। यहां किसान आंदोलन का à¤à¥€ असर था और महंगाई ने à¤à¥€ बीजेपी को नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ पहà¥à¤‚चाया, लेकिन बीजेपी की हार की सबसे बड़ी वजह अंदरूनी कलह रही।