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रामभक्तों को कांग्रेस से डरना काहे का? नरोत्तम मिश्रा ने गिनाए रामसेतु फिल्म देखने के फायदे

मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा अक्सर अपने बयानों को लेकर खबरों में बने रहते हैं। उन्होंने रामसेतु फिल्म को लेकर कांग्रेस को घेरा है। नरोत्तम मिश्रा ने रामसेतु फिल्म देखने के बाद कहा कि जब भी राम की बात आएगी तो कांग्रेस आरोप लगाएगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जब भी राम जन्मभूमि की बात आएगी तो सवाल उठाएगी। कांग्रेस जब भी रामसेतु की बात आएगी तो हल्ला मचाएगी। नरोत्तम ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके हल्ले से, उनके सवाल से, उनकी आलोचना से, राम भक्तों को डरना काहे का।

फिल्म देखकर नास्तिक हो जाएंगे आस्तिक
नरोत्तम मिश्रा ने रामसेतु फिल्म की तारीफ करते हुए कहा कि इस फिल्म में वास्तविकता का यथार्थ में चरित्र चित्रण किया गया है। यह फिल्म उन लोगों को देखनी चाहिए जिन्होंने रामसेतु पर सवाल उठाए थे, राम पर सवाल उठाए थे । मिश्रा ने कहा कि इस फिल्म में इन सभी सवालों का वैज्ञानिकता के आधार पर, धार्मिकता के आधार पर और वास्तविकता के आधार पर जवाब है। मिश्रा ने कहा राम पर सवाल उठाने वाले एक बार जरूर फिल्म ‘रामसेतु’ देखें वे भी नास्तिक से आस्तिक हो जाएंगे।

रामसेतु फिल्म की कहानी
तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच बने हुए राम सेतु को प्रभु श्रीराम ने बनाया या फिर ये प्रकृति का कोई करिश्मा है इसी बात पर यह फिल्म बनी हुई है। फिल्म में हिंदू धर्म के इतिहास को साइंस से जोड़कर दिखाया गया है। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों से भी राम सेतु और प्रभु श्रीराम को जोड़ा गया है। बता दें कि रामसेतु फिल्म विवादों में है। भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस के भी कई नेताओं ने इस फिल्म को लेकर नाराजगी जताई है। भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया है कि यह फिल्म मुद्दे को गलत तरीके से पेश करती है।

रामसेतु या आदम का पुल?
रामायण की कथा के अनुसार, सीता हरण के बाद श्री राम की सेना को लंका पहुंचने के लिए समुद्र पार करना था। उस समुद्र को पार करने के लिए नल-नील की सहायता से एक पुल बनाई गई। पत्थरों को समुद्र में फेंक कर समुद्र के ऊपर तैरता हुआ पुल। उसी पुल को पार कर राम की सेना लंकी पहुंची। हिंदु धर्म के लोग उस पुल को रामसेतु कहते हैं। वहीं मुस्लिम धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इसे आदम का पुल कहा जाता है। इस्लाम धर्म में ऐसी मान्यता है कि इस पुल को आदम ने 1,000 साल पहले पार किया था। पुल पार कर आदम श्रीलंका के एक पहाड़ पर पहुंचा था, जहां वो एक पैर पर खड़ा होकर पश्चाताप किया था। विज्ञान इसे एक प्राकृतिक जलीय संरचना बताता है।

 

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