Homeslider news,अपना मध्यप्रदेश,
विशेषज्ञ बोले- सबको साधने में किसी भी क्षेत्र में बेहतर नीतियां नहीं दे पाया बजट

  इंदौर .शहर में कॉन्फेडरेशन इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (सीआईआई) द्वारा आयोजित बजट सेशन में शहर के प्रमुख उद्योग संगठन, सरकार और प्राइवेट संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इसी के साथ आयकर भवन में आईसीएआई और टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन ने भी बजट प्रोग्राम आयोजित किया। सभी ने बजट पर अपनी राय रखी। हालांकि अधिकतर का मानना रहा कि बजट से बहुत उम्मीदें थी और वह पूरी नहीं हुई। सबको साधने के चक्कर में सरकार किसी को भी कुछ बेहतर नहीं दे पाई। 

ज्वाइंट कमिश्नरों की नियुक्ति से कम होंगे केस
मप्र कमर्शियल टैक्स अपील बोर्ड के अकाउंटेंट मेंबर और रिटायर्ड स्टेट टैक्स ज्वाइंट कमिश्नर सुदीप गुप्ता ने बताया कि बजट में सभी को कुछ न कुछ देने का प्रयास किया गया है। एग्रीकल्चर में फिशिंग, हार्टिकल्चर को जोड़ा है। गांवों में रहने वालों को रोजगार देने पर फोकस किया है। डिजिलॉकर पर जोर दिया है। नए ज्वाइंट कमिश्नरों की नियुक्ति होगी जिससे टैक्सेशन के केस कम होंगे। छोटे केस सुलझाने के लिए इन्हें दिए जाएंगे।

इससे बहुत बेहतर बजट बना सकती थी सरकार
सीए मनीष डफरिया ने बताया कि नई टैक्स स्कीम में सेविंग करने वालों को लाभ कम दिए गए हैं जो खर्च करते हैं उन्हें ज्यादा लाभ दिए गए हैं। घरों, मंदिरों में जमा सोने को बाहर निकालने के लिए ईगोल्ड स्कीम लाए हैं जिसमें टैक्स पर छूट बताई जा रही है। ऐसा हुआ तो वह सोना बाहर आएगा और अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा। बजट इससे अच्छा हो सकता था। इंडस्ट्री शब्द सुनने को ही नहीं मिला, एजुकेशन, एग्रीकल्चर को भी कुछ नहीं मिला।

बजट भविष्य को देखकर बनाया
बैंक ऑफ इंडिया के चीफ मैनेजर सुनील अग्रवाल ने बताया कि सरकार ओल्ड स्कीम से लोगों को नई टैक्स स्कीम में लाना चाहती है। इसके अभी फायदे कम दिख रहे हैं लेकिन भविष्य में इससे लोगों को अधिक फायदा होगा। नई स्कीम में टैक्स स्लैब बढ़ाए गए हैं। 25 साल बाद की अर्थव्यवस्था पर फोकस कर इसे बनाया गया है। 

एजुकेशन में कुछ खास नहीं मिला
डेली कॉलेज बिजनेस स्कूल की प्रिंसिपल रिंकू जोशी ने बताया कि एजुकेशन के लिए बेहतर स्कीमें लाई जा सकती थी। स्किल इंडिया पर जो कहा गया वह जमीन पर कितना सफल होगा यह योजना में स्पष्ट नहीं दिखा। विदेशी शिक्षण संस्थानों से अनुबंध की योजना ला सकते थे। इससे भारत के शिक्षण संस्थानों का स्तर बेहतर होता और विदेशी छात्र यहां पर पढऩे आते। इससे अर्थव्यवस्था को भी लाभ होता।

सभी वर्गों को साधने का प्रयास
सीआईआई इंदौर के चेयरमैन और कृति इंडस्ट्री के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सौरभ सिंह मेहता ने बताया कि बजट सभी को ध्यान में रखकर बनाया गया। सरकार ने मध्यमवर्ग के साथ जरूरतमंद तबके और संपन्न तबके के लिए भी कुछ न कुछ दिया है। कोविड के बाद अर्थव्यवस्था बेहतर हो रही है। इस बजट से उसे और फायदा होगा।

स्किल बढ़ाने पर जोर देने वाला बजट
इंदौर सीए शाखा चेयरमैन सीए आनंद जैन ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर, पूंजीगत विकास, मेक इन इंडिया और युवाओं के स्किल बढ़ाने पर जोर देने वाला बजट है। पांच साल मे 3.1 लाख करोड़ से 10 लाख करोड़ का इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए फंड रखना भारत के सर्वागीण विकास, रोजगार और कार्यक्षमता बढ़ाने में बहुत लाभकारी होगा। किसी भी देश के विकास मे एक स्थिर कर प्रणाली की बहुत आवश्यकता है।

गरीबों के लिए इस बजट में कुछ भी नहीं
पद्मश्री जनक पलटा ने कहा कि यह बजट उन लोगों के लिए बहुत लाभदायक है जिनके पास पहले से कुछ है। उन्हें इससे फायदा मिलेगा और उनका लाभ और भी बढ़ेगा। जिनके पास कुछ नहीं है उनके लिए इसमें कुछ नहीं है। मैं जिस गांव सनावदिया में रहती हूं वहां स्वास्थ्य केंद्र में कोई सुविधा नहीं है, यहां जल-नल नहीं है, नेटवर्क तक नहीं है। गांव में जो महिलाएं हाथ से काम करती हैं, जो मजदूर अपना कारोबार करना चाहते हैं उनके लिए बजट में कुछ नहीं है। जो सस्टेनेबल डवलपमेंट पर काम कर रहे हैं जो सौर ऊर्जा से गांव में खाना बन सकते हैं उनके लिए इस बजट से सोलर ड्रायर तक नहीं मिला, उन्हें एक सोलर कुकर तक नहीं मिला। देश में स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों की हालत खराब है। बजट में इसके लिए भी कुछ नहीं मिला।

Share This News :