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महापौर ने लौटाया सरकारी वाहन ,जाने क्यों

 नगर निगम की खराब वित्तीय हालत को देखते हुए महापौर डा. शोभा सिकरवार ने गुरुवार को सरकारी वाहन लौटा दिया। गुरुवार की शाम को नगर निगम परिषद की बैठक में शामिल होने के बाद लौटते समय उन्होंने जल विहार स्थित परिषद भवन के बाहर ही सरकारी गाड़ी की चाबी कार्यशाला प्रभारी श्रीकांत कांटे को सौंप दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि निगम की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है।कर्मचारियों को समय से वेतन नहीं मिल पा रहा है। पानी के टैंकर और जेसीबी से जैसे वाहनों के लिए डीजल नहीं है। ऐसे में वे खर्चों में कटौती के लिए सरकारी वाहन के बजाय अपने निजी वाहन का उपयोग करेंगी। आचार संहिता लगने के बाद से नगर निगम की वित्तीय स्थिति खराब है। यही कारण है कि नगर निगम आयुक्त हर्ष सिंह ने निगम के सभी विभागों को खर्चों में कटौती करने के निर्देश दिए थे।

निगम मुख्यालय में लगी फोटो कापी मशीन तक को बंद करा दिया गया है और कचरा संग्रहण व सफाई व्यवस्था में लगे वाहनों को छोड़कर अन्य गाड़ियों को डीजल की आपूर्ति रोक दी गई है। किराए पर लिए गए वाहनों को भी कार्यशाला से हटा दिया गया है। इसके अलावा निगम निधि से होने वाले छोटे-छोटे कार्यों पर भी रोक लगा दी गई है। निगम के पास बजट की कमी के कारण ठेकेदारों को भुगतान नहीं किए जा रहे हैं।

स्थिति यह है कि निगम कर्मचारियों के खातों में जो वेतन महीने की पहली या दूसरी तारीख को पहुंच जाता था, वह इस माह 18 दिसंबर को मिला है। खाली खजाने को भरने के लिए निगम का पूरा ध्यान जलकर और संपत्तिकर की वसूली पर है, लेकिन ई-नगर पालिका पोर्टल पर साइबर हमला होने के कारण वसूली भी बंद पड़ी है।ऐसे में महापौर ने खर्चों की कटौती में सहयोग करने की बात कहते हुए अपना वाहन लौटा दिया। हालांकि निगम अधिकारियों ने चाबी लेने से मना किया, लेकिन महापौर ने चाबी लौटाकर सरकारी वाहन को कार्यशाला में पहुंचवाया और निजी वाहन से लौट गईं।

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