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तीसरे चरण में गुना में महाराज, राजगढ़ में राजा की प्रतिष्ठा दांव पर, चंबल क्षेत्र में कांटे की टक्कर

लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में मध्य प्रदेश में नौ सीटों पर 7 मई गुना में 'महाराज', राजगढ़ में 'राजा' से कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इसमें दो पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह राजगढ़ और शिवराज सिंह चौहान विदिशा और केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से चुनाव मैदान में हैं। दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। वहीं, ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में कांटे की टक्कर बताई जा रही है। गुना सीट पर भाजपा ने केपी यादव का टिकट काटकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को दिया है। वहीं, कांग्रेस ने यादवेंद्र यादव पर दांव लगाया है। इस सीट पर सिंधिया राजवंश का दबदबा रहा है। 2019 में हार के बाद सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए। अब वह फिर से अपने पारंपरिक सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां पर यादव वोटरों की नाराजगी के कारण उनको ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा है। यादवेंद्र यादव भी भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए है। उनके पिता स्व. देशराज यादव दो बार सिंधिया परिवार को टक्कर दे चुके हैं। हालांकि, उनको हार का सामना करना पड़ा था।

 
 राजगढ़ से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से चुनाव मैदान में हैं। वे 30 साल बाद राजगढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री रहने से पहले वे यहां से दो बार सांसद रह चुके हैं। अब इस बार उनका मुकाबला भाजपा के दो बार के सांसद रोडमल नागर से है। दिग्विजय सिंह ने जनता से भावनात्मक रूप से जुड़ने का प्रयास किया। उन्होंने सियासी जीवन का अंतिम चुनाव बता कर पूरी ताकत झोंक दी है। उनके पूरे परिवार ने घर-घर वोट मांगे। भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ नाराजगी के चलते मोदी के चेहरे पर वोट मांग रही है। 
विदिशा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव लड़ रहे हैं। यह भाजपा का गढ़ है। 2004 के बाद शिवराज विदिशा सीट पर लोकसभा का चुनाव लड़ने पहुंचे हैं। वे यहां से पांच बार सांसद रह चुके हैं। शिवराज चार बार मुख्यमंत्री रहे। उनके सामने कांग्रेस ने पूर्व सांसद प्रताप भानु शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है। उनको शिवराज सिंह चौहान एक बार चुनाव हरा चुके हैं। इस सीट पर शिवराज और उनका परिवार पूरी मेहनत से जुटा हुआ है। यहां पर जीत का मार्जिन बढ़ाकर वे प्रदेश में लोकप्रिय राजनीतिक चेहरे के रूप से उभरना चाहते हैं।मुरैना संसदीय सीट पर भाजपा ने शिवमंगल सिंह तोमर और कांग्रेस ने सत्यपाल सिंह सिकरवार को प्रत्याशी बनाया है। दोनों ही क्षत्रिय हैं। यहां पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही जागिगत समीकरण की रणनीति से चुनाव लड़ रहे हैं।

 
भोपाल सीट पर भाजपा ने पूर्व महापौर आलोक शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। शर्मा दो विधानसभा चुनाव हार गए हैं। भाजपा ने वोटों के ध्रुवीकरण के लिए शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। भोपाल में पांच लाख मुस्लिम वोटर्स हैं। वहीं, कांग्रेस ने वकील अरुण श्रीवास्तव को प्रत्याशी बनाया है। भोपाल में करीब ढाई लाख कायस्थ वोटर हैं। कांग्रेस ने कायस्थ कार्ड खेलने का प्रयास किया है। सागर संसदीय सीट पर भाजपा ने लता वानखेड़े को प्रत्याशी बनाया है। लता राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रह चुकी हैं। वहीं, कांग्रेस ने चंद्रभूषण सिंह गुड्डू राजा बुंदेला को मैदान में उतारा है। सागर जिले की बीना से विधायक निर्मला सप्रे को भाजपा ने अपनी पार्टी में शामिल करा कर कांग्रेस को चुनाव से पहले बड़ा झटका दिया है। निर्मला सप्रे अनुसूचित जाति वर्ग से आती हैं। इस सीट पर दलित वोटर बड़ी संख्या में हैं। बैतूल में भाजपा ने वर्तमान सांसद दुर्गादास उइके को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने पूर्व प्रत्याशी रामू टेकाम पर ही दांव लगाया है। इस सीट में आने वाली विधानसभा की आठ में दो सीटें भाजपा हारी है। यह दोनों सीटें हरदा जिले की है। जहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा पार्टी की तरफ से आयोजित कराई गई है। भाजपा कोई भी कमजोरी नहीं रख रही है। भिंड में भाजपा ने सांसद संध्या राय को ही टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस ने विधायक फूल सिंह बरैया पर दांव लगाया है। इस सीट पर बसपा से आशीष जरारिया खड़े हैं। वे पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। ऐसे में मुकाबला रोचक हो गया है। इस सीट पर राहुल गांधी कांग्रेस प्रत्याशी के लिए सभा कर चुके हैं। यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। 
ग्वालियर में भाजपा ने पूर्व विधायक भारत सिंह कुशवाह और कांग्रेस ने पूर्व विधायक प्रवीण पाठक को टिकट दिया है। भाजपा ने ओबीसी और कांग्रेस ने ब्राह्मण को टिकट दिया है। यहां कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव जीतने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। 
 




 
 
 

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