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अक्षय बम के BJP में शामिल होने पर सुमित्रा ताई बोली, ये कोई बड़े नेता नहीं, हमें क्या फायदा इनसे

इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम के भाजपा में शामिल होने के बाद सुमित्रा महाजन ने जो कुछ कहा और जिस अंदाज में कहा उसने भाजपा के दिग्गजों के होश उड़ा दिए। इसे दिल्ली और भोपाल में भी गंभीरता से लिया। उनका कहना था कि हम यहां वैसे ही बहुत मजबूत थे फिर यह क्यों किया गया यह समझ नहीं आ रहा है। वैसे भी अक्षय कोई बहुत बड़े नेता नहीं है, जिनको लेने से हमें कोई बड़ा फायदा हो रहा हो। ताई का यह भी कहना था कि मैं ऐसी राजनीति को पसंद नहीं करती हूं। महाजन ने अपनी नाराजगी का इजहार करते हुए यह भी कहा कि मैं तो इस बार के चुनाव में किसी भूमिका में नहीं हूं, हां शायद इसलिए मुझे इसकी जानकारी नहीं दी गई हो। ताई के तीखे तेवर के बाद बम को अपने सुर बदलने पड़े। 29 अप्रैल को नामांकन वापस लेने के बाद उन्होंने कहा था कि मैं राष्ट्रहित की जागृति और देश प्रेम के संभव के साथ ही सनातन धर्म के विश्व में प्रचार के लिए यह फैसला लिया। मैं एक भारत श्रेष्ठ भारत के लिए काम करूंगा।

अक्षय रविवार को नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गी की मौजूदगी में फिर मीडिया से रूबरू है और कांग्रेस पर तमाम आरोप जड़े। उनका कहना था कि मेरी तो चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी थी, लेकिन मुझे कांग्रेस संगठन और नेताओं से किसी तरह का सहयोग नहीं मिल रहा था। उम्मीदवारी घोषित होने के अगले दिन 24 मार्च को जब मैं गांधी भवन गया तो वहां की उपस्थिति देखकर ही मुझे बहुत कुछ समझ में आने लगा था। लोकसभा जैसा बड़ा चुनाव में अपनी व्यक्तिगत टीम के भरोसे लड़ नहीं सकता था। मुझे संगठन और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की मदद की दरकार थी, लेकिन वह चुनाव से दूरी बनाकर चलने लगे थे। मुझे किसी का सपोर्ट नहीं मिल रहा था और एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत मुझे जानबूझकर डैमेज किया जा रहा था। अक्षय आधा घंटे तक सफाई देते रहे।

 
 बम के इस बोल वचन को सुमित्रा महाजन के कड़े बोल के बाद निर्मित हुई परिस्थितियों के साथ ही भाजपा के एक बड़े वर्ग में पैदा हुई नाराजी से जोड़कर भी देखा जा रहा है। पार्टी एक बड़ा वर्ग जो अभी तक चुनाव में अहम भूमिका निभा रहा था, अब चुनाव से दूरी बनाकर चल रहा है। इन नेताओं का कहना है कि जब इतने अहम मुद्दे पर पार्टी ने हमसे बात करना उचित नहीं समझा तो फिर हम क्यों उत्साह दिखाएं। पार्टी के कुछ नेता तो यह भी कह रहे हैं कि बम को कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला भाजपा में लाए हैं अब वे ही उन्हें संभाले।
हाशिये पर विशाल पटेल और संजय शुक्ला 
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए दोनों पूर्व विधायक विशाल पटेल और संजय शुक्ला की लोकसभा चुनाव के दौर में भाजपा में कोई पूछ परख नहीं है। इंदौर-1 में जहां से कैलाश विजयवर्गीय विधायक हैं, शुक्ला को लोकसभा चुनाव से पूरी तरह दूर रखा गया है। वहीं देपालपुर में मनोज पटेल के दबाव के चलते विशाल पटेल को कोई अहम भूमिका नहीं दी गई है। इन दोनों नेताओं के समर्थकों की भी कहीं पूछ परख नहीं हो रही है।

 

 
 
 
 

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