'मानहानि मामले पर जल्द फैसला होना राहुल गांधी का वैधानिक अधिकार', हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनके खिलाफ चल रहे मानहानि के मामले में जल्द फैसला पाने का वैधानिक अधिकार है। न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चह्वाण की एकल पीठ ने 12 जुलाई को दिए आदेश में कहा कि 'संविधान का अनुच्छेद 21 हर किसी को तुरंत और स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार प्रदान करता है।' हाईकोर्ट ने दी राहुल गांधी को राहत
उच्च न्यायालय ने मजिस्ट्रेट अदालत के उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें मजिस्ट्रेट ने राहुल गांधी के खिलाफ मुकदमा करने वाले आरएसएस कार्यकर्ता को मामले में नए और अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने की अनुमति दी थी। मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ ही राहुल गांधी ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया था, जहां से उन्हें थोड़ी राहत मिली है।
क्या है मामला
गौरतलब है कि आरएसएस कार्यकर्ता राजेश कुंटे ने 2014 में भिवंडी में मजिस्ट्रेट अदालत में मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि कांग्रेस नेता ने एक भाषण के दौरान झूठा और अपमानजनक बयान दिया था कि महात्मा गांधी की हत्या के लिए संघ जिम्मेदार है। इस पर मजिस्ट्रेट अदालत ने 2023 में कुंटे को राहुल गांधी के भाषण की प्रतिलिपि प्रस्तुत करने की अनुमति दी थी। इस पर राहुल गांधी ने अपने खिलाफ जारी समन को रद्द करने की मांग करते हुए साल 2014 में दिए अपने भाषण की भी जानकारी दी।
हाईकोर्ट की टिप्पणी
न्यायमूर्ति चह्वाण ने अपने आदेश में कुंटे पर सवाल उठाया और कहा कि उनके आचरण के कारण इस मामले में बेवजह की देरी हो रही है। उच्च न्यायालय ने कहा, 'प्रतिवादी संख्या 2 (कुंटे) भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के मद्देनजर शिकायत के गुण-दोष के आधार पर उस पर जल्द से जल्द निर्णय पाने के याचिकाकर्ता (राहुल गांधी) के वैध अधिकार को रोकने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।' पीठ ने मजिस्ट्रेट को यह भी निर्देश दिया कि वह शिकायत पर शीघ्र निर्णय लें और उसका निपटारा करें क्योंकि यह एक दशक से लंबित है।