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वायनाड भूस्खलन में अब तक 123 की मौत, 128 घायल, करीब चार हजार लोग बचाए गए

केरल के वायनाड जिले में मेप्पाडी के पास पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन की खबर है। इस प्राकृतिक आपदा के कारण अबतक 123 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 128 घायल हुए हैं। वहीं सैकड़ों लोगों के फंसे होने की आशंका है। स्थानीय आपदा मोचन बल के जवान राहत और बचाव कार्य चला रहे हैं। बारिश के कारण कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

वहीं मौसम विभाग के अनुसार वायनाड में आने वाले कुछ दिन और खराब हो सकते हैं। मौसम विभाग ने वायनाड के लिए भारी बारिश का रेड अलर्ट जबकि पड़ोसी मलप्पुरम, कोझिकोड और कनूर जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। तेज बारिश के कारण बचाव अभियान प्रभावित हो सकता है।
वायनाड में भूस्खलन में उत्तर भारत के चार पर्यटक और कर्नाटक का एक टैक्सी ड्राइवर भी फंस गए हैं। हालांकि पर्यटकों की पहचान नहीं हो पाई है। बंगलूरू में टैक्सी सेवा देने वाले सचिन गौड़ा ने बताया, पिछले बृहस्पतिवार को हमें ऑनलाइन बुकिंग मिली थी और एक अर्टिगा गाड़ी से हमने इन चारों पर्यटकों को बंगलूरू हवाईअड्डे से रिसीव किया। ये सभी ईशा फाउंडेशन के कोयंबटूर से आरंभ करने के बाद कूर्ग होते हुए वायनाड पहुंचे थे और दो दिन से वहीं थे। मंगलवार तड़के भूस्खलन में ये सभी वहां फंस गए। गौड़ा ने बताया, टैक्सी ड्राइवर ने सोमवार देर रात बताया कि हर ओर पानी ही पानी है। वह इतना डर गया कि रात में ही नजदीक के अस्पताल में चला गया। पर्यटकों में दो महिलाओं को भी बाद में बचा लिया गया और एक का आईसीयू में इलाज चल रहा है। दूसरी की हालत ठीक है। दो अन्य लापता हैं और उनके फोन भी बंद हैं।
वायु सेना स्टेशन, सुलूर से दो हेलिकॉप्टर लोगों को तेजी से बाहर निकालने के लिए तैनात किए गए हैं। इसके अलावा नौसेना की रिवर क्रॉसिंग टीम भी बचाव में जुटी है। मुख्यमंत्री विजयन के ओएसडी एस कार्तिकेयन को सभी बचाव एजेंसियों के बीच समन्वय का काम सौंपा गया है।
वहीं वायनाड में भूस्खलन के बाद बचाव अभियान पर भारतीय सेना ने बताया कि भारतीय सेना, एनडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर वायनाड के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में बचाव अभियान चला रही है। मुदक्कई गांव से करीब 150 लोगों को बचाया गया है, उन्हें चिकित्सा सहायता प्रदान की गई है और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। ऑपरेशन के लिए पहले से ही तैनात लगभग 225 कर्मियों की कुल क्षमता वाली चार टुकड़ियों के अलावा, लगभग 140 कर्मियों की क्षमता वाली दो और टुकड़ियां तिरुवनंतपुरम में स्टैंडबाय पर हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें कम समय में हवाई मार्ग से पहुंचाया जा सके।
 
 
 
 

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