तहसीलदार का रीडर रिश्वत की रकम लेते तहसील कार्यालय में रंगे हाथों ट्रैप
मध्यप्रदेश के बुरहानपुर नगर स्थित तहसील कार्यालय में लोकायुक्त ने छापामार कार्रवाई करते हुए तहसीलदार के रीडर अशोक कुशवाहा को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा है। बताया जा रहा है कि फरियादी से दो प्लाट के नामांतरण करने को लेकर रिश्वत की मांग की जा रही थी और इसके चलते उनका काम पिछले तीन माह से पेंडिंग कर रखा था। इसी बीच उनसे काम के बदले रिश्वत की मांग की गई और फरियादी ने एक हजार रुपये रीडर को दे भी दिए थे, जिसके बाद इंदौर लोकायुक्त को इस मामले की शिकायत की गई और सोमवार दोपहर बुरहानपुर पहुंची लोकायुक्त की टीम ने रिश्वत के बचे हुए तीन हजार पांच सौ की राशि लेते हुए रीडर अशोक को रंगे हाथों पकड़ लिया, जिन पर फिलहाल लोकायुक्त की कार्रवाई जारी है।बुरहानपुर नगर के तहसील कार्यालय में सोमवार दोपहर लोकायुक्त इंदौर से आई टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रभारी तहसीलदार रामलाल पगार के रीडर अशोक कुशवाहा पिता गणेश कुशवाहा को रंगे हाथों रिश्वत की राशि के साथ धार दबोचा। इस पूरी कार्रवाई को लेकर इंदौर से बुरहानपुर पहुंचे लोकायुक्त टीम के डीएसपी प्रवीण सिंह बघेल ने बताया कि बुरहानपुर के सीलमपुर क्षेत्र के निवासी फरियादी रोहित वर्मा ने लोकायुक्त पुलिस इंदौर को जानकारी दी थी कि उनकी बहन के नाम से दो प्लाट खरीदे गए हैं, जिनके नामांतरण कराने के लिए बुराहनपुर तहसील के रीडर अशोक कुशवाहा से वे मिले थे।इस दौरान रीडर अशोक द्वारा दोनो प्लॉट के नामांतरण हेतु रिश्वत की मांग की जा रही थी। उनकी शिकायत सत्यापन के बाद सही पाए जाने से सोमवार को ट्रैप दल का गठन कर तहसील कार्यालय बुरहानपुर के रीडर अशोक कुशवाहा को उनके कार्यालयीन कक्ष में 3500 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ ट्रैप किया गया, जिसके बाद आरोपी के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 की धारा-7 के अंतर्गत बुरहानपुर सर्किट हाउस में कार्रवाई अभी जारी है।
वहीं, इस मामले में फरियादी रोहित वर्मा ने बताया कि उन्होंने दो प्लॉट मेक्रो विजन स्कूल के सामने खरीदे हैं, जिसके नामांतरण की फाइल उन्होंने करीब तीन माह पहले से लगाई हुई है। अभी तक कर्मचारी टाइम पास कर रहे थे और कल अचानक मुझे बोला कि आपको ढाई हजार रुपये पर प्लाट के हिसाब से देना होगा, जिस पर मैंने उनसे कुछ कम करने के लिए कहा था। तब वे 4,500 रुपये में मान गए। इस तरह से जो मुझसे पांच हजार रुपये मांगे गए थे, वह साढ़े चार हजार रुपये में फाइनल हुए और उसमें से एक हजार रुपये में उन्हें पहले दे चुका था, उसके बाद मैंने लोकायुक्त में शिकायत की और आज साढ़े तीन हजार रुपये देते हुए उन्हें तहसील ऑफिस में ही पकड़वा दिया।