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RSS दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ... पीएम मोदी ने क्यों की संघ की तारीफ, समझ लीजिए

नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की खुलकर सराहना की। पीएम मोदी ने संघ को “दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ” बताया और कहा कि संगठन ने देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मोदी की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब बीजेपी और आरएसएस के बीच मतभेद की चर्चाएं तेज थीं। लेकिन प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में संघ के प्रति सम्मान जताकर यह संदेश दिया कि दोनों संगठनों के रिश्ते अटूट हैं।

मोदी ने संघ को दिया बड़ा श्रेय

पीएम मोदी ने कहा कि कई संस्थाओं और लोगों ने देश के निर्माण में योगदान दिया है। उन्होंने कहा— “आज मैं गर्व से एक ऐसी संस्था का उल्लेख करना चाहता हूं जिसकी स्थापना सौ साल पहले हुई थी। राष्ट्र निर्माण और चरित्र निर्माण के संकल्प के साथ आरएसएस ने एक सदी से मातृभूमि की सेवा की है। यह सौ साल का सफर देश के लिए गौरव और स्वर्णिम अध्याय है।”

मोदी स्वयं भी आरएसएस से जुड़े रहे हैं। ऐसे में उनकी इस खुली प्रशंसा से संघ और बीजेपी से जुड़े कार्यकर्ताओं में उत्साह है। साथ ही यह भी संयोग है कि आरएसएस इस साल अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष मना रहा है।

विपक्ष का तीखा हमला

पीएम मोदी के बयान पर कांग्रेस और एआईएमआईएम ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने तंज कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की कुर्सी मोहन भागवत की कृपा पर टिकी हुई है और लाल किले से आरएसएस का महिमामंडन करना संविधान और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। वहीं असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पोस्ट में लिखा कि अगर प्रधानमंत्री को संघ की तारीफ करनी थी तो उन्हें नागपुर जाकर करनी चाहिए थी, लाल किले जैसे राष्ट्रीय मंच से नहीं। ओवैसी के मुताबिक, यह गलत परंपरा की शुरुआत है।

आरएसएस की सफाई और बयान

आरएसएस के वरिष्ठ नेता राम माधव ने पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीजेपी और संघ एक ही वैचारिक परिवार के दो हिस्से हैं। बीजेपी जहां राजनीति में सक्रिय है वहीं संघ समाज और समुदायों के बीच कार्य करता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि दोनों संगठनों में किसी तरह का मनमुटाव नहीं है, सिर्फ अफवाहें फैलाकर भ्रम पैदा किया जाता है।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ज़िक्र

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी याद किया। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 370 को हटाना और ‘एक राष्ट्र, एक संविधान’ का मंत्र साकार करना, मुखर्जी के बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि है। मोदी ने याद दिलाया कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने के खिलाफ आवाज उठाने पर मुखर्जी को जेल में डाला गया था, जहां उनकी मृत्यु हुई।

लाल किले से पहली बार आरएसएस की तारीफ

इतिहास गवाह है कि आरएसएस को 1963 में गणतंत्र दिवस परेड में आमंत्रित किया गया था, लेकिन यह पहली बार है जब किसी प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से संघ की तारीफ की है। संगठन पर अतीत में कई बार प्रतिबंध लगे और इसे लेकर विवाद भी उठे, फिर भी आज यह देश का सबसे प्रभावशाली संगठनों में से एक है। आरएसएस को अक्सर नेहरूवादी और उदारवादी विचारधारा वाली धर्मनिरपेक्ष राजनीति के लिए चुनौती माना जाता रहा है।

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