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MP स्थित मां के चमत्कारी मंदिर और शक्तिपीठों की तस्वीरें, जानें कहानियां

 नवरात्रि का पावन पर्व मां की उपासना के लिए बेहद खास होता है। नवरात्रि के नौ दिनों तक मां के भक्त नौ स्वरूपों की आराधना करते हैं। वहीं, 22 सितंबर से नवरात्रि का शुभ दिन शुरू होने जा रहा है। 2 अक्टूबर को दशहरा के दिन इसका समापन होगा। इस विशेष मौके पर चलिए जानते हैं, मध्य प्रदेश में स्थित विशेष मां दुर्गा के प्रसिद्ध और सिद्ध शक्तिपीठों के बारे में।

अमरकंटक: शोण नर्मदा शक्तिपीठ

मध्यप्रदेश के अमरकंटक में स्थित शोण नर्मदा शक्तिपीठ का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अपार है। मान्यता है कि यहां माता सती का दायां नितंब गिरा था। यही कारण है कि इस स्थान पर मां को नर्मदा स्वरूप में पूजा जाता है। मंदिर को शोणाक्षी शक्तिपीठ भी कहा जाता है। यहां देवी की प्रतिमा पर सुनहरा मुकुट विराजमान है और चांदी के चबूतरे से इसका वैभव और भी बढ़ जाता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को लगभग 100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।

मैहर: मां शारदा माता मंदिर

सतना जिले की त्रिकुट पहाड़ी पर विराजमान मैहर माता मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मान्यता है कि यहां माता सती का हार गिरा था, इसी कारण इस स्थान का नाम पड़ा – मैहर। भक्तों को मंदिर तक पहुंचने के लिए 1063 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, हालांकि सुविधा के लिए यहां रोपवे सेवा भी उपलब्ध है। नवरात्रि और पर्वों पर यहां भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ता है।

दतिया: मां पीतांबरा पीठ

दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा पीठ अद्भुत और अद्वितीय शक्तिपीठ है। यहां मां बगलामुखी को पीतांबरा रूप में पूजा जाता है। यही नहीं, इस मंदिर परिसर में महाभारत कालीन वनखंडेश्वर महादेव मंदिर और मां धूमावती का मंदिर भी स्थित है, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है। माना जाता है कि यहां साधना करने से साधक को अद्वितीय शक्ति और सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

रतलाम : कालिका माता मंदिर

रतलाम जिले का कालिका माता मंदिर अपनी दिव्य ऊर्जा और चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि जब भक्त मां कालिका की प्रतिमा के सामने खड़े होते हैं तो उनके शरीर में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा का संचार होता है। नवरात्रि पर यहां भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दराज से श्रद्धालु आकर मां के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करते हैं।

आगर मालवा: पीतांबरा सिद्ध पीठ
आगर मालवा जिला मुख्यालय से 35 किलो मीटर दूर नलखेड़ा में स्थित विश्व प्रसिद्ध पीतांबरा सिद्ध पीठ मां बगलामुखी का मंदिर में नवरात्रि से आस्था का सैलाव उमड़ेगा। यह मंदिर तंत्र साधना के प्रमुख स्थलों में शामिल हैं। मान्यता यह है कि माता बगलामुखी की मूर्ति स्वयंभू है। ईस्वी सन् 1816 में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। शक्तिपीठ की स्थापना महाभारतकाल में हुई। भगवान कृष्ण के कहने पर कौरवों से विजय के लिए पांडवों ने यहां मां बगलामुखी की आराधना की थी।

नर्मदापुरम: विजयासन देवी धाम सलकनपुर
सीहोर के विजयासन देवी धाम सलकनपुर में शारदीय नवरात्रि के अवसर पर विशेष पूजन अर्चन किया जाना शुरू हो गया है। साथ ही प्रदेश सहित अनेक क्षेत्रों से श्रद्धालु सलकनपुर पहुंचकर मां विजयासन के दर्शन कर रहे हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार रक्तबीज नामक दैत्य के वध के बाद मां शक्ति यही आसीन हुई थी। विंध्याचल पर्वत पर स्थित इस शक्ति पीठ पर का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि यहां मां विजयासन का प्राकट्य स्वयं हुआ था, इस स्वयंभू शक्ति पीठ पर मां बिजयासन के प्राकट्य की अनेक पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं।

मां शारदा का पावन धाम इतिहास और महत्व
मैहर का अर्थ है “मां का हार”। यह पावन धाम सतना जिले के मुख्यालय से लगभग 5 किलोमीटर दूर त्रिकूट पर्वत पर स्थित है। समुद्र तल से करीब 600 मीटर ऊंचाई पर विराजमान यह मंदिर देशभर में मां शारदा का एकमात्र मंदिर माना जाता है मां शारदा देवी के साथ ही इस पर्वत की चोटी पर श्री काल भैरवी, भगवान हनुमान, देवी काली, दुर्गा, गौरी शंकर, शेष नाग, फूलमती माता, ब्रह्मदेव और जलापा देवी की भी पूजा-अर्चना होती है।

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