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तीन तलाक पर SC के फैसले ने मुस्लिम महिलाओं को बराबरी का हक दिया: मोदी

नई दिल्ली.तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट ने अनकॉन्स्टिट्यूशनल (असंवैधानिक) बताया। नरेंद्र मोदी ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ये फैसला ऐतिहासिक है। यह मुस्लिम महिलाओं को समानता देता है और महिला सशक्तीकरण के लिए एक मजबूत सुधार है। उधर, बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह ने कहा कि इस फैसले ने देश की करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को समानता और आत्मसम्मान से जीने का हक दिया है। बता दें कि 18 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया। एक हजार साल पुरानी इस प्रथा पर 5 जजों की बेंच ने 3:2 की मेजॉरिटी से फैसला दिया। इसमें कहा गया कि तीन तलाक वॉइड (शून्य), अनकॉन्स्टिट्यूशनल (असंवैधानिक) और इलीगल (गैरकानूनी) है। बेंच में शामिल दो जजों ने तीन तलाक पर 6 महीने की रोक लगा दी। और क्या कहा अमित शाह ने...

- अमित शाह ने कहा- पीएम और केंद्र सरकार दोनों को पार्टी की ओर से धन्यवाद, इस फैसले के साथ नए युग की शुरुआत होगी। संसार के बहुत से मुस्लिम देशों के कानून में तीन तलाक जायज नहीं है। इस फैसले का पार्टी की ओर से स्वागत करता हूं, यह किसी की हार-जीत का विषय नहीं। मुस्लिम महिलाओं के लिए स्वाभिमान पूर्ण और समानता के एक नए युग की शुरुआत है।"
- "सर्वोच्च अदालत ने ट्रिपल तलाक को बहुमत फैसले के जरिए गैरसंवैधानिक घोषित कर देश की करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को समानता और आत्मसम्मान से जीने का हक दिया है।"
- "बीजेपी इस फैसले को संकल्पवान न्यू इंडिया के रूप में देखती है।"
कांग्रेस ने कहा- तीन तलाक इस्लाम के खिलाफ है
- कांग्रेस स्पोक्सपर्सन रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट निर्णय का स्वागत करते हैं। हम मानते हैं कि सभी पक्ष इससे सहमत होंगे। तीन तलाक इस्लाम के खिलाफ है। फैसले से भेदभाव की परंपरा का अंत हुआ और महिलाओं को बराबरी का हक मिला। तीन तलाक की बात न तो कुरान में है और न ही हदीस में।"
- बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, "कोर्ट ने बहुत खूब फैसला दिया है। महिलाओं को अपना दर्जा प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। मैं पक्ष में लड़ाई लड़ने वाले वकीलों, संगठनों को बधाई देता हू्ं। सरकार को अब आगे जाकर कॉमन सिविल कोड लाना चाहिए।"
- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा, "हमने हमेशा सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को सम्मान किया है। हमने काफी मुद्दे उठाए थे। पूरा फैसला पढ़ने के बाद ही सारी बातें पता चलेंगी। फैसले के बाद अगर कोई मुस्लिम महिला तलाक स्वीकार करती है तो उसका क्या होगा। ये भी फैसला होना चाहिए।"
- मेनका गांधी ने कहा, "अच्छा फैसला है। लैंगिक न्याय और समानता की दिशा में ये एक और कदम है।"
फैसला सुनाते वक्त पांच जजों की बेंच ने क्या कहा?
- बेंच पांच जजों की थी। चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस अब्दुल नजीर इस पक्ष में नहीं थे कि तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया जाए। वहीं, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया।
- तीन तलाक की विक्टिम और पिटीशनर अतिया साबरी के वकील राजेश पाठक ने DainikBhaskar.com को बताया कि बेंच ने 3:2 की मेजॉरिटी से तीन तलाक को खारिज और गैर-कानूनी करार दिया। वहीं दो जजों ने इस मामले पर संसद में कानून बनाने की बात कही।
- वहीं, वकील सैफ महमूद के मुताबिक, चीफ जस्टिस ने कहा कि पर्सनल लॉ से जुड़े मुद्दों को न तो कोई संवैधानिक अदालत छू सकती है और न ही उसकी संवैधानिकता को वह जांच-परख सकती है। वहीं, जस्टिस नरीमन ने कहा कि तीन तलाक 1934 के कानून का हिस्सा है। उसकी संवैधानिकता को जांचा जा सकता है। तीन तलाक असंवैधानिक है।
- चीफ जस्टिस खेहर और जस्टिस अब्दुल नजीर ने तीन तलाक पर 6 महीने तक रोक लगाने और सरकार द्वारा कानून बनाने की बात कही। ये भी कहा कि राजनीतिक दलों को इस मामले पर विरोध को दरकिनार करना चाहिए। चीफ जस्टिस और नजीर ने अपने फैसले में ये भी कहा कि उम्मीद है कि केंद्र अपने कानून में मुस्लिम संगठनों की चिंताओं और शरिया कानून का ध्यान रखेगा।
- 3 जजों ने कहा कि तीन तलाक की परंपरा मर्जी से चलती दिखाई देती है, ये संविधान का उल्लंघन है। इसे खत्म होना चाहिए।

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