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भैय्या फिल्म का नाम पदमावती की जगह रूपमती, मथुरावती रख लेते तो क्या जाता

ग्वालियर। फिल्म अभिनेता राजा बुंदेला ने कहा कि पदमावती के निर्माता ने केन्द्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड की अनुमति से पहले ही  à¤«à¤¿à¤²à¥à¤® का मीडिया ट्रायल करके विवाद को स्वयं जन्म दिया दिया है। उन्होंने कहा कि बिना सेंसर बोर्ड को सबमिट किये बिना फिल्म किसी को नहीं दिखानी चाहिए थी। 
 à¤°à¤¾à¤œà¤¾ बुंदेला ने कहा कि समाज अब परिपक्व हो गया है, और अच्छा बुरा स्वयं सोच सकता है।  à¤¯à¤¦à¤¿ फिल्म पहले सेंसर बोर्ड को सबमिट कर पास होकर आती तो कोई विवाद भी होता तो बाद में सीन काटा जा सकता था। अब हंसी की बात यह है कि फिल्म आई नहीं और विवाद जमकर चल रहा है। 
राजा बुंदेला ने फिल्म निर्माताओं को सलाह दी कि वह एतिहासिक तथ्यों से फिल्म निर्माण में छेडछाड कतई ना करें, यदि फिल्म बनाना भी थी तो भैय्या फिल्म का नाम पदमावती की जगह रूपमती, मथुरावती रख लेते तो क्या जाता। 
राजा बुंदेला ने कहा कि अब तो सोशल मीडिया गूगल पर ससब उपलब्ध है उस पर सेंसर कहां है। वह तो बच्चे भी देख रहे हैं। बुंदेला ने बताया कि वह अपने होम प्रयास प्रोडक्शन के तहत ग्वालियर के पत्रकार डॉ. राकेश पाठक की किताब अमृतलाल पर भी फिल्म बना रहे हैं। 

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