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आखिर भाजपा में कितने नेता बनेगे मुख्यमंत्री ,हर किसी का इशारा में सीएम बनूँगा

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा कहीं कोई माइंड गेम तो नहीं खेल रही है। दरअसल, उसके तीन वरिष्ठ नेता अपनी बातों से एक ही सिग्नल दे रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ये तीनों ही नेता इन दिनों अपनी अपनी स्टाइल में न सिर्फ जनता को इंप्रेस करने में जुटे हैं बल्कि उन्हें एक मेसेज भी दे रहे हैं। ताकि जनता यह अंदाजा ही लगाती रहे कि प्रदेश का अगला मुखिया कोन बनेगा। देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी ने भी इस बार विधानसभा चुनाव के लिए कोई भी चेहरा घोषित नहीं किया है बल्कि इसके उलट उसने चुनाव में अपने केंद्रीय मंत्री, राष्ट्रीय महासचिव और वरिष्ठ सांसदों को उतार कर जनता के सामने और कन्फ्यूजन पैदा कर दिया है। ये सभी कभी न कभी सीएम के दावेदार माने जाते रहे हैं। ऐसे में अब यह कैलकुलेशन लगाना मुश्किल होगा कि अगर भाजपा की सरकार आती है तो मुख्यमंत्री की कुर्सी किसे दी जाएगी। दूसरी ओर हर क्षेत्र की जनता चाहेगी उसके क्षेत्र का व्यक्ति सीएम बने।

क्या हैं विजयवर्गीय के बोल 
जनसभा में कैलाश विजयवर्गी का यह कहना कि मैं यहां पर सिर्फ विधायक बनने नहीं आया हूं पार्टी मुझे कोई बड़ी जिम्मेदारी देगी। उनका यह बयान सीधे-सीधे इस बात की तरफ इशारा करता है कि वे जनता तक ये संदेश पहुंचाना चाहते हैं कि अगर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनती है तो उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल सकती है जिसका सीधा लाभ इंदौर समेत पूरे मालवा की जनता को मिलेगा। भाजपा ने इस बार राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर 1 से प्रत्याशी बनाया है। 

सीएम का भावुक होना
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का लगातार अपनी सभाओं में भावुक होना भी शोध का विषय बना हुआ है। वे बार-बार जनता के बीच जाकर कुछ इस तरह की बातें कर रहे हैं जिससे जनता को ये लगे कि वे जाना नहीं चाहते पर उन्हें हटाया जा रहा है। भरी सभा में उनका ये कहना कि तुमारा भैया बहुत याद आयेगा। उनका ये कहना उनके चाहने वालों को चिंता में डालने वाला बयान था। दूसरी तरफ सीएम के बयानों को लेकर कांग्रेस की भी बनायबाजी जा रही है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने सीएम शिवराज सिंह को पूरी तरह से साइड लाइन कर दिया है। 

 


तोमर की दिमनी से दूरी
इधर, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अपना नाम हो घोषित होने के बाद से ही अपनी विधानसभा सीट दिमनी नहीं पहुंचे हैं। जबकि वे ग्वालियर और आसपास के क्षेत्र में लगातार सक्रिय और आना जाना कर रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि दिमनी न जाकर वे ये संदेश देने की कोशिश में हैं कि उन पर पूरे ग्वालियर चंबल की जिम्मेदारी है। उन्हें सिर्फ केंद्रीय नेतृत्व को एक सीट जीताकर नहीं देना है बल्कि अधिकतम सीटें ग्वालियर चंबल से जीतना हैं। उनका प्रचार का ये तरीका लोगों को ये विश्वास दिला रहा है कि सरकार आने पर तोमर के हाथों में सत्ता दी जा सकती है। 

 
 
 

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