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अब मास्क से नहीं रुक रहा दिल्ली की हवा को बर्बाद करने वाला PM 2.5

दिल्ली एनसीआर के लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल हो गया है। इस वक्त राजधानी की हवा इतनी जहरीली है कि इसमें सांस लेने वाला हर शख्स गंभीर बीमारियों का शिकार बन सकता है। दिल्ली सरकार ने इस मुश्किल से निजात दिलाने के लिए कुछ कदम उठाए जरूर हैं, लेकिन इससे हवा को पूरी तरह साफ नहीं किया जा सकेगा। दिल्ली में रहने वाला हर शख्स कम से कम 20 सिगरेट के बराबर जहरीला धुआं अपनी सांसों में भर रहा है। डराने वाली बात ये है कि अगले तीन दिनों तक हालात ऐसे ही बने रहने की आशंका है। दिल्ली और एनसीआर में हर तरफ इतना धुआं छा गया है कि बाहर निकलने पर सांस लेने में मुश्किल हो रही है, और घर में भी आंखों में जलन महसूस हो रही है।
इस वक्त दिल्लीवालों के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि वो खुद को इस जहरीले धुएं से, कोहरे और धुएं के इस खतरनाक मेल से कैसे बचाएं। एक उपाय ये है कि लोग मास्क पहनकर बाहर निकलें। लेकिन ये उपाय सभी नहीं अपना सकते। फिर भी जो लोग मास्क खरीदना चाहते हैं, उनके लिए भी मुश्किलें कम नहीं हैं। दुकानदारों का कहना है कि बाजार में मास्क की कमी हो गई है। एक तरफ लोगों में मास्क खरीदने की होड़ मची है तो दूसरी तरफ अस्पतालों में मरीजों की तादाद बढ़ रही है। दिल्ली एनसीआर के कुछ स्कूलों ने अभिभावकों को निर्देश दिया है कि वो बच्चों को मास्क लगाकर ही स्कूल भेजें। लोगों का कहना है कि आज तक दिल्ली में कभी इस तरह का प्रदूषण नहीं देखा है। बच्चों के स्कूल से ऑर्डर है कि बच्चों को मास्क लगाकर स्कूल भेजो।
मुश्किल ये भी है कि लोगों को यही नहीं पता चल रहा कि कौन सा मास्क खरीदा जाए और एक सुरक्षित मास्क में क्या क्वालिटी होनी चाहिए। जानकारों का मानना है कि बाजार में फिलहाल जिस तरह के मास्क मिल रहे हैं, उससे कोई फायदा होने वाला नहीं क्योंकि दिल्ली की हवा को बर्बाद करने वाला PM 2.5 नाम का कण आम मास्क से नहीं रुक रहा। फिजिशियन डॉ. एम वली का कहना है कि बाजार में जो मास्क मिल रहा है उससे फायदा नहीं। PM 2.5 को रोकने वाला मास्क बहुत महंगा है। इसलिए प्रदूषण से बचने के लिए लोग घर पर रहें। बच्चे और बीमार लोगों को इससे ज्यादा खतरा है।

क्या है PM 2.5, कैसे पहुंचाता है नुकसान

आमतौर पर लोग PM 2.5 के बारे में नहीं जानते, लेकिन इससे बचाव के लिए इस खतरनाक कण के बारे में जानना बेहद जरूरी है। PM 2.5 हवा में घुलने वाला छोटा पदार्थ है। PM 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है। विजिबिलिटी का स्तर भी गिर जाता है। ये कण कितना छोटा होता है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि सिर्फ एक इंच जगह पर 10 हजार PM 2.5 के कण आ सकते हैं। वहीं सांस लेते वक्त इन कणों को रोकने का हमारे शरीर में कोई सिस्टम नहीं। ऐसे में PM 2.5 हमारे फेफड़ों में काफी भीतर तक पहुंचते हैं। PM 2.5 बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। इससे आंख, गले और फेफड़े की तकलीफ बढ़ती है। खांसी और सांस लेने में भी तकलीफ होती है। दमे का हमला हो सकता है। हर रोज संपर्क में रहने पर हार्ट अटैक का खतरा होता है। लगातार संपर्क में रहने पर फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है।

दिल्ली सरकार ने उठाए ये बड़े कदम

जाहिर है दिल्ली के लोगों को जहरीली हवा से बचाने के लिए बड़े कदम उठाने होंगे। फिलहाल तात्कालिक उपायों में इतना ही किया गया है कि दिल्ली में अगले 5 दिन तक निर्माण कार्य बंद कर दिए गए हैं। 10 दिन तक डीज़ल जनरेटर का इस्तेमाल बंद रहेगा। दिल्ली में कूड़ा जलाने पर रोक लगा दी गई है। बदरपुर प्लांट से राख उठाने पर रोक लग गई है। 10 नवंबर से दिल्ली में वैक्यूम क्लीनिंग शुरू होगी।

लेकिन इन उपायों से दिल्ली को पूरी तरह प्रदूषण मुक्त नहीं बनाया जा सकेगा। दिल्ली को दुनिया के उन देशों से सीखना होगा, जिन्होंने अपने यहां के प्रदूषण को काबू करके वहां की हवा को सांस लेने लायक बनाया है।

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