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आतंकी हाफिज सईद को पाक की जनता ने नकारा, चुनाव में नहीं मिली एक भी सीट

इस्‍लामाबाद। पाकिस्तान के चुनाव में इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। ऐसे में इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने का दावा और मजबूत नजर आ रहा है। इस बार के चुनाव में आतंकी हाफिज सईद भी उतरा था। मगर पाकिस्तान की सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रहे आतंकी हाफिज की उम्मीदों को झटका लगा।

पाकिस्‍तानकी जनता ने उसे खारिज कर दिया है। मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद का एक भी उम्‍मीदवार इस चुनाव में जीत हासिल नहीं कर सका। इतना ही नहीं आम चुनाव में हाफिज सईद का बेटा हाफिज तल्हा और दामाद खालिद वलीद भी हार की कगार पर हैं।

हाफिज ने बनाई थी अल्लाह-ओ-अकबर पार्टी

हाफिज सईद की पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग को मान्यता नहीं मिलने के कारण उसने अल्लाह-ओ-अकबर (एएटी) के जरिए चुनाव में अपने प्रत्‍याशी उतारे थे। चुनाव में उसके 260 से ज्यादा उम्मीदवार पाक चुनाव में उतारे थे। रुझानों में एक भी सीट पर हाफिज सईद के उम्‍मीदवार बढ़त बनाते नहीं दिख रहे। रुझानों के हिसाब से कह सकते हैं कि पाकिस्‍तान की जनता ने आतंकी मंसूबों को पूरी तरह से नकार दिया है। चुनाव में हाफिज सईद को भी कड़ा झटका लगा है।

पाकिस्तान का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा ये बात जल्‍द ही सामने होगी। बुधवार को हुई वोटिंग के बाद से ही मतगणना जारी है और रुझानों में पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। साथ ही इस चुनाव में पाकिस्‍तानी अवाम ने आतंक को सिरे से नकार दिया है। रुझानों के नतीजों में नवाज शरीफ और बिलावल भुट्टो की पार्टी को पाकिस्‍तान की जनता ने नकार दिया है।

शरीफ ने लगाया धांधली का आरोप

रुझानों में पिछड़ने के बाद से ही नवाज शरीफ की पार्टी PML(N) की ओर से चुनाव में धांधली का आरोप लगाया गया है। नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज शरीफ ने आरोप लगाया कि ये चुनाव पाकिस्तान के इतिहास के सबसे बेईमानी वाले चुनाव हैं। उन्‍होंने कहा कि हम इन नतीजों को खारिज करते हैं। उन्होंने कहा कि इमरान खान धोखे से चुनावों में बढ़त बनाए हुए हैं। हमारे कई समर्थकों को मतगणना स्थल से बाहर निकाल दिया गया।

बता दें कि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 342 सदस्य होते हैं. इनमें से 272 को सीधे तौर पर चुना जाता है। जबकि शेष 60 सीटें महिलाओं और 10 सीटें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित हैं। कोई पार्टी तभी अकेले दम पर सरकार बना सकती है जब उसे 137 सीटें हासिल हो जाएं।

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