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PAK जा रहे क्रिकेटरों से बोले थे अटल- खेल ही नहीं दिल भी जीत कर आना

भारतीय क्रिकेट टीम को 2004 में पाकिस्तान दौरे पर जाने की मंजूरी देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की वह पंक्ति सौरव गांगुली की अगुवाई वाली टीम के हर सदस्य के जेहन में चस्पा हो गई थी कि ‘खेल ही नहीं, दिल भी जीतिए’

भारत और पाकिस्तान के आपसी संबंधों में सुधार के लिए उस ऐतिहासिक दौरे को काफी अहम माना जा रहा था. पिछले कई वर्षों से भारत ने पाकिस्तानी सरजमीं पर पूर्ण क्रिकेट सीरीज नहीं खेली थी और उम्मीदों का सरमाया लेकर गांगुली उस टीम के साथ सरहद पार जा रहे थे, जिसमें सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, अनिल कुंबले, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज खिलाड़ी शामिल थे.

उस समय टीम के मैनेजर रहे प्रोफेसर रत्नाकर शेटटी ने पीटीआई को बताया, ‘वह दौरा सिर्फ वाजपेयी जी के कारण ही संभव हो सका था. वह आपसी संबंध सुधारने के लिए क्रिकेट को जरिया बनाना चाहते थे और बीसीसीआई को सरकार से मंजूरी मिलने के बाद ही हमने टीम भेजी.’

 

यह बात मानो हर खिलाड़ी ने गांठ बांध ली और जमकर खेले. पाकिस्तान को वनडे सीरीज में 3-2 और टेस्ट में 2-1 से हराया. यही वह दौरा था जब वीरेंद्र सहवाग ने मुल्तान टेस्ट में 309 रनों की पारी खेली और उनका नाम ही 'मुल्तान का सुल्तान' पड़ गया.

 

उन्होंने बताया, ‘टीम की रवानगी के दिन प्रधानमंत्री कार्यालय से संदेश आया कि प्रधानमंत्री टीम से मिलेंगे. हम सुबह उनके आवास पहुंचे और उन्होंने टीम के हर सदस्य से बात की. वहां नौसेना का बैंड बज रहा था जिस पर देशभक्ति के गीत चल रहे थे.’

शेट्टी ने कहा, ‘उन्होंने सौरव को एक संदेश के साथ बल्ला दिया जिस पर लिखा था कि खेल ही नहीं दिल भी जीतिए, शुभकामनाएं. इसके साथ ही जाने से पहले सौरव से कहा कि यह दौरा बहुत अहम है और मैच के साथ लोगों का दिल भी तुम लोगों को जीतना है.’

उन्होंने बताया कि वाजपेयी ने टीम को विदाई से पहले एक गीत सुनने के लिए कहा और वह गीत था ‘हम होंगे कामयाब एक दिन.’ शेट्टी इस दौरे से पहले सुरक्षा इंतजामों का जायजा लेने भी पाकिस्तान गए थे और लौटकर उन्होंने प्रधानमंत्री को बताया कि कराची और लाहौर में उनकी तस्वीरें लेकर लोग धन्यवाद के बैनर लेकर खड़े थे.

 

उन्होंने यह भी कहा कि वनडे सीरीज जीतने के बाद वाजपेयी जी ने उन्हें फोन करके सौरव से बात की और बधाई दी थी. भारतीय टीम के इस दौरे का पहले काफी विरोध हुआ था, लेकिन जीत के साथ लौटे सौरव के सूरमाओं ने सभी क्रिकेट प्रेमियों को गौरवान्वित किया और अपने आचरण से दिल जीतकर अपने प्रधानमंत्री से किया वादा भी पूरा किया.

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