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बच्चों को मूर्ति बनाने का दिया प्रशिक्षण

ग्वालियर। पर्यावरण संरक्षण के लिये सम्पूर्ण विश्व कार्य कर रहा है। ग्वालियर जिले में भी पर्यावरण संरक्षण का संदेश नन्हे-मुन्हे बच्चों ने मिट्टी के श्रीगणेश बनाकर दिया है। गणेश उत्सव के अवसर पर पीओपी की गणेश प्रतिमाओं पर प्रतिबंध जिला प्रशासन द्वारा लगाया गया है। इसके साथ ही इसके विक्रय को भी प्रतिबंधित करते हुए आम जनों से मिट्टी के श्री गणेश की प्रतिमा का ही पूजन कर विसर्जन करने को कहा गया है।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य एवं ग्वालियर के महापौर विवेक नारायण शेजवलकर ने रविवार को अपने निज निवास नई सड़क पर प्रसिद्ध मूर्तिकार श्री मुकुंद केतकर के माध्यम से बच्चों को मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं को तैयार करने की एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में लगभग 25 बच्चों ने मूर्तिकार केतकर से गणेश प्रतिमा तैयार करने की विधि को सीखा। बच्चों ने उत्साह के साथ गणेश प्रतिमा तैयार की। मूर्तिकार केतकर ने स्वयं बच्चों को मिट्टी की गणेश प्रतिमायें तैयार कर उन्हें इसकी आसान विधि से भी अवगत कराया। कार्यशाला में बच्चों ने स्वयं भी मिट्टी की गणेश प्रतिमायें तैयार कीं। कार्यशाला में सभी बच्चों ने कहा कि इस वर्ष वे अपने घर पर मिट्टी की गणेश प्रतिमा की स्थापना कर पूजा-अर्चना करेंगे और उसी प्रतिमा का विसर्जन भी करेंगे।
महापौर शेजवलकर ने इस मौके पर बच्चों से कहा कि मूर्तिकला हमारे देश की बहुत पुरानी कला है। इस देश में अनेकों कलाकारों ने मूर्तिकला में अपना और देश का नाम रोशन किया है। इन्हीं कलाकारों में मुकुंद केतकर भी एक जाना पहचाना नाम है। श्री शेजवलकर ने बच्चों से कहा कि पर्यावरण संरक्षण का सबसे प्रभावी संदेश अगर कोई दे सकता है तो वो बच्चे ही हैं। महापौर ने कार्यशाला में उपस्थित बच्चों के अभिभावकों से भी आग्रह किया कि गणेश उत्सव के अवसर पर मिट्टी के श्रीगणेश की प्रतिमा ही स्थापित करें। इसके साथ ही अन्य लोगों को भी मिट्टी की प्रतिमा स्थापित करने के लिये प्रेरित करें। उन्होंने बच्चों से कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ मूर्तिकला, संगीत, खेल एवं अन्य गतिविधियों को भी अपने जीवन का अनिवार्य हिस्सा बनायें।
मूर्तिकार मुकुंद केतकर ने इस मौके पर कहा कि इस तरह की कार्यशालाओं का आयोजन निरंतर होते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों में सीखने की ललक रहती है। इस कारण वे कोई भी कला को जल्दी सीख लेते हैं। मूर्तिकला को सीखना बहुत कठिन नहीं होता है। इस कला को निरंतर करते रहने से अच्छा कलाकार बना जा सकता है। सभी बच्चे कार्यशाला में बताई गई बातों को समझें और निरंतर प्रयास करते रहें, तो वे भी आगे चलकर मूर्तिकला के अच्छे जानकार और कलाकार बन सकते हैं।

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