सबूतों के अà¤à¤¾à¤µ में सोहराबà¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ केस के सà¤à¥€ आरोपी बरी, मैं असहाय
बहà¥à¤šà¤°à¥à¤šà¤¿à¤¤ सोहराबà¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ शेख à¤à¤¨à¤•à¤¾à¤‰à¤‚टर केस में आज केंदà¥à¤°à¥€à¤¯ जांच बà¥à¤¯à¥‚रो (CBI) की à¤à¤• विशेष अदालत ने अपना फैसला सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ सà¤à¥€ 22 आरोपियों को बरी कर दिया. जज à¤à¤¸à¤œà¥‡ शरà¥à¤®à¤¾ ने अपने आदेश में कहा कि हमें इस बात का दà¥à¤– है कि तीन लोगों ने अपनी जान खोई है. लेकिन कानून और सिसà¥à¤Ÿà¤® को किसी आरोप को सिदà¥à¤§ करने के लिठसबूतों की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है. सीबीआई इस बात को सिदà¥à¤§ ही नहीं कर पाई कि पà¥à¤²à¤¿à¤¸à¤µà¤¾à¤²à¥‹à¤‚ ने सोहराबà¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ को हैदराबाद से अगवा किया था. इस बात का कोई सबूत नहीं है.
हालांकि, कोरà¥à¤Ÿ ने इस बात को माना है कि सोहराबà¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ की मौत गोली लगने के कारण ही हà¥à¤ˆ थी. हालांकि, इस बात का कोई सबूत नहीं है. यही कारण है कि सà¤à¥€ आरोपियों को बरी कर दिया गया है. कोरà¥à¤Ÿ ने अपने आदेश में कहा कि सरकार और à¤à¤œà¥‡à¤‚सियों ने इस केस की जांच करने में काफी मेहनत की, 210 गवाहों को पेश किया गया. लेकिन किसी à¤à¥€ तरह से सबूत सामने नहीं आ सके. जज ने फैसला सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ कहा कि असहाय हैं.
बताते चलें कि 2005-06 के दौरान हà¥à¤ इस à¤à¤¨à¤•à¤¾à¤‰à¤‚टर में इस कथित गैंगसà¥à¤Ÿà¤° सोहराबà¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ और तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤°à¤¾à¤® पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ के मारे जाने से राजनीति काफी गरà¥à¤®à¤¾ गई थी. अब 13 साल बाद कोरà¥à¤Ÿ ने अपना फैसला सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾. इस मामले की आखिरी बहस 5 दिसंबर को खतà¥à¤® हà¥à¤ˆ थी.
इस मामले में कà¥à¤² 37 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जबकि 2014 में 16 लोगों को बरी कर दिया गया था. बरी किठगठलोगों में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जनता पारà¥à¤Ÿà¥€ के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· अमित शाह (ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ गृह मंतà¥à¤°à¥€), पà¥à¤²à¤¿à¤¸ अफसर डी. जी. बंजारा जैसे बड़े नाम शामिल हैं. ये मामला पहले गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ में चल रहा था, लेकिन सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ के आदेश के बाद इसे मà¥à¤‚बई टà¥à¤°à¤¾à¤‚सफर कर दिया गया था.
गौरतलब है कि अà¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ पकà¥à¤· का आरोप था कि सोहराबà¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ शेख का संबंध आतंकी संगठन से था और वह किसी बड़ी साजिश के तहत काम कर रहा था.
कà¥à¤¯à¤¾ है पूरा मामला?
गौरतलब है कि सोहराबà¥à¤¦à¥à¤¦à¥€à¤¨ शेख का à¤à¤¨à¤•à¤¾à¤‰à¤‚टर 2005 में हà¥à¤† था. इस मामले की जांच गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ में चल रही थी, लेकिन सà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ ने आदेश दिया था कि गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ में इस केस को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ किया जा रहा है, इसलिठ2012 में इसे मà¥à¤‚बई टà¥à¤°à¤¾à¤‚सफर कर दिया गया था.
इस मामले की सà¥à¤¨à¤µà¤¾à¤ˆ पहले जज उतà¥à¤ªà¤¤ कर रहे थे, हालांकि बाद में उनका टà¥à¤°à¤¾à¤‚सफर कर दिया गया. उनके बाद इस मामले की सà¥à¤¨à¤µà¤¾à¤ˆ जज बृजगोपाल लोया कर रहे थे, नियà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के कà¥à¤› समय बाद ही उनकी मौत हो गई थी. जिसके बाद कà¥à¤› समय के लिठइस केस में मीडिया रिपोरà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग पर बैन लगाया था.