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अशोक सिंह जमीनी स्तर के कार्यकर्ता को नाम और काम से पहचानते हैं

केन्द्र में सत्ता पाने के लिए एक-एक सीट की जंग में कांग्रेस ने ग्वालियर से एक बार फिर अशोक सिंह पर ही भरोसा किया है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह खेमे के अशोक सिंह की राह में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ही रोडा बने थे। इसे देखते हुए अशोक सिंह पिछले एक माह से दिल्ली-भोपाल पहुंचकर उन्हें मनाने में जुटे थे। शुक्रवार को गुना से मौजूदा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का गुना से टिकट तय होने से काफी हद तक ग्वालियर की तस्वीर साफ हो गई। शनिवार को दिल्ली में फिर वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई और अशोक सिंह को मैदान में उतार दिया। उनका लगातार यह चौथा चुनाव है। पिछले तीन चुनाव काफी कम मतों से हारने के कारण पार्टी का उन पर भरोसा बना हुआ है। इस बार पार्टी गुटबाजी से ऊपर उठकर सत्ता पाने को आतुर नजर आ रही है।कांग्रेस की बात हो अथवा भाजपा की, ग्वालियर सीट पर हमेशा ही 'महल' यानी जयविलास पैलेस का प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष दखल रहा है। महल के समक्ष दंडवत हुए बगैर टिकट मिलना और चुनाव जीतना आसान नहीं है। अशोक सिंह चूंकि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह खेमे के हैं इसलिए सांसद सिंधिया की सहमति बहुत मायने रखती है। ग्वालियर से सांसद सिंधिया अथवा उनकी पत्नी प्रियदर्शिनी राजे को चुनाव लड़ाने की मांग सिंधिया खेमे के लोग करते आ रहे थे। प्रियदर्शिनी के लिए तो जिला कांग्रेस ने प्रस्ताव भी पारित कर दिया था। सिंधिया गुना से ही लड़ने के इच्छुक थे, पत्नी को ग्वालियर से लड़ाकर वे कोई जोखिम उठाना नहीं चाहते थे। महल के अलावा कोई दमदार चेहरा था तो केवल अशोक सिंह। इसलिए पार्टी ने तीन चुनाव हारने का नियम शिथिल करते हुए एक बार फिर उन पर भरोसा जताया।भाजपा प्रत्याशी विवेक शेजवलकर की तुलना में शहर ही नहीं, गांवों में भी अशोक सिंह की पहचान ज्यादा रही है। कारण यह कि वे लगातार चौथा चुनाव लड़ रहे हैं। प्रदेश में पिछले 15 साल से विपक्ष में रहने पर कांग्रेस हर गली मोहल्ले की समस्याओं को लेकर आंदोलन कर जनता के सीधे संपर्क में थी। शहर की तीनों सीटें भी इस बार कांग्रेस के खाते में पहुंच चुकी हैं। अशोक सिंह मृदु व्यवहार,मिलनसार व सहयोगात्मक छवि के हैं। जमीनी स्तर के कार्यकर्ता को नाम और काम से पहचानते हैं। à¤Ÿà¤¿à¤•à¤Ÿ की घोषणा के समय अशोक सिंह दिल्ली में ही थे। सूची आते ही ग्वालियर में आतिशबाजी और मिष्ठान वितरण का दौर चल निकला। शहर जिलाध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा व अन्य ने टिकट पर प्रसन्नाता जताई तो लतीफ खां, कुलदीप कौरव, मितेन्द्र सिंह, हरेन्द्र कंषाना, हेवरन कंषाना व अन्य कांग्रेसियों ने मिठाई बांटी।

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