Homeslider news,अपना मध्यप्रदेश,
साध्वी प्रज्ञा: कभी हिंदू आतंकवाद का था नाम ,भोपाल लोकसभा सीट से नाम तय

मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर साध्वी प्रज्ञा सिंह का नाम तय हो गया है. बुधवार को साध्वी प्रज्ञा ने बीजेपी ज्वॉइन की. साध्वी को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता दिलाई गई. इससे पहले सुबह शिवराज की अगुवाई में बीजेपी नेताओं की मीटिंग हुई थी ज‍िसमें तय हो गया क‍ि देश की चर्चित और हाई प्रोफाइल सीट पर अब चर्चित नामों के बीच ही मुकाबला होने जा रहा है.

बता दें क‍ि मालेगांव ब्लास्ट में साध्वी प्रज्ञा, असीमानंद और कर्नल पुरोहि‍त का नाम सामने आने के बाद कांग्रेस ने 'ह‍िंदू आतंकवाद' शब्द को तेजी से उछाला था. इसी कड़ी में कांग्रेस महासच‍िव और पूर्व मुख्यमंत्री द‍िग्व‍िजय स‍िंह ने इसे 'संघी आतंकवाद' बताया. अब साध्वी प्रज्ञा बीजेपी में शाम‍िल हो गई हैं तो इन दोनों की चुनावी टक्कर द‍िलचस्प होने वाली है.

साध्वी प्रज्ञा कैसे बनी थी ह‍िंदू आतंकवाद का चेहरा
महाराष्ट्र में नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को खौफनाक बम धमाका हुआ था. उस धमाके में 7 बेगुनाह लोगों की जान चली गई थी, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. ये धमाका रमजान के माह में उस वक्त किया गया था, जब मुस्लिम समुदाय के बहुत सारे लोग नमाज पढ़ने जा रहे थे. इस धमाके के पीछे कट्टरपंथी हिंदू संगठनों का हाथ होने का आरोप लगा था. इसमें साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित का नाम सामने आया था.

2008 में हुए मालेगांव बम विस्फोट में उन्हें शक के आधार पर गिरफ्तार किया गया था. मालेगांव ब्‍लास्‍ट मामले में प्रज्ञा सिंह ठाकुर को 23 अक्‍टूबर 2008 को ग‍िरफ्तार क‍िया था. 25 अप्रैल 2017 को उन्‍हें जमानत पर र‍िहा क‍िया गया. उसके बाद उन्‍हें हाल ही में इस केस से दोषमुक्‍त भी कर द‍िया गया.

सुनील जोशी हत्याकांड में आया था नाम

देवास की एक अदालत ने फरवरी 2017 में चर्चित सुनील जोशी हत्याकांड के मामले में बुधवार को साध्वी प्रज्ञा और सात अन्य आरोपियों को बरी क‍िया था. अपने जीवन का लंबा समय RSS के प्रचारक के रूप में गुजारने वाले सुनील जोशी की 29 दिसंबर, 2007 को देवास के चुना खदान इलाके में स्थित उनके आवास से कुछ ही मीटर दूरी पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

जोशी की हत्या के अगले ही दिन एक खास समुदाय को निशाने पर ले लिया गया और एक परिवार के चार सदस्य मार डाले गए, क्योंकि जोशी के करीबियों ने उनकी हत्या को सांप्रदायिक रंग दे दिया था. बाद में यह शंका सामने आई कि जोशी के उनके कुछ सहयोगियों ने ही खत्म कर दिया, ताकि उस भगवा आतंकवाद की सुबूत की एक कड़ी खत्म हो जाए, जिसके समझौता एक्सप्रेस बम विस्फोट सहित कई मामलों में लिप्त होने के आरोप थे.

इसमें भी साध्वी प्रज्ञा सिंह पर आरोप था कि वह भी इस भगवा आतंकवादी नेटवर्क का महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं और बाद में सुनील जोशी हत्या में उनकी कथित भूमिका को लेकर उन्हें गिरफ्तार भी किया गया लेकिन बाद में उन्हें बरी कर द‍िया गया.

Share This News :