कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को नहीं, धà¥à¤µà¤œ को गà¥à¤°à¥ मानता है RSS?
16 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ को देशà¤à¤° में गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ का उतà¥à¤¸à¤µ मनाया गया. राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवक संघ (आरà¤à¤¸à¤à¤¸) विशेष उतà¥à¤¸à¤µ मानते हà¥à¤ हर साल इसे अपनी सà¤à¥€ शाखाओं में मनाता है. इसे संघ के छह उतà¥à¤¸à¤µà¥‹à¤‚ में सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ माना गया है. इस दिन आरà¤à¤¸à¤à¤¸ के कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ à¤à¤—वा धà¥à¤µà¤œ की पूजा करते हैं और धà¥à¤µà¤œ के समà¥à¤®à¤¾à¤¨ में कई चीजें समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हैं.
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की बजाय धà¥à¤µà¤œ को माना गà¥à¤°à¥-
राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवक संघ ने गà¥à¤°à¥ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर à¤à¤—वा धà¥à¤µà¤œ को सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया हà¥à¤† है. आरà¤à¤¸à¤à¤¸ à¤à¤—वा धà¥à¤µà¤œ को तà¥à¤¯à¤¾à¤— और समरà¥à¤ªà¤£ का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• मानता है. इसके पीछे की वजह को वह सूरà¥à¤¯ से जोड़कर बताते हैं, जो सà¥à¤µà¤¯à¤‚ जलकर à¤à¥€ पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ बांटने का काम करता है. इसी वजह से दूसरों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपना जीवन समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करने वाले साधà¥, संत à¤à¤—वा वसà¥à¤¤à¥à¤° ही पहनते हैं. आरà¤à¤¸à¤à¤¸ à¤à¤—वा या केसरिया को तà¥à¤¯à¤¾à¤— का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• मानता है. संघ का यह à¤à¥€ मानना है कि वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ में कà¤à¥€ à¤à¥€ कोई खराबी या दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£ आ सकते हैं. लेकिन तà¥à¤¯à¤¾à¤— का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• à¤à¤—वा à¤à¤‚डा हमेशा संदेश ही देगा. à¤à¤¸à¥‡ में वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की अपेकà¥à¤·à¤¾ धà¥à¤µà¤œ को गà¥à¤°à¥ मानना बेहतर है.
यूं ही धà¥à¤µà¤œ को नहीं मानते गà¥à¤°à¥
राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवक संघ के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवक संघ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के समय à¤à¤—वा धà¥à¤µà¤œ को गà¥à¤°à¥ के रूप में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित किया था. विशà¥à¤µ का सबसे बड़ा सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवी संगठन गà¥à¤°à¥ के रूप में हर वरà¥à¤· गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ पर इस धà¥à¤µà¤œ को नमन करता है. à¤à¤—वा धà¥à¤µà¤œ को गà¥à¤°à¥ की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ यूं ही नहीं मिली है. यह धà¥à¤µà¤œ तपोमय व जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• सशकà¥à¤¤ व पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है.
हजारों सालों से चली आ रही परंपरा
आरà¤à¤¸à¤à¤¸ के à¤à¤• कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ ने बताया कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में हजारों सालों से शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ गà¥à¤°à¥ बनाने की परंपरा चली आ रही है. करोड़ों लोगों ने वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त रीति से अपने गà¥à¤°à¥à¤“ं को चà¥à¤¨à¤¾ है. इसलिठइस विशेष दिन हम शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ से गà¥à¤°à¥ की वंदना करते हैं. अनेक अचà¥à¤›à¥‡ संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को पाते हैं. यही कारण है कि अनेक आकà¥à¤°à¤®à¤£à¥‹à¤‚ के बावजूद à¤à¤• सफल राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के रूप में à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने अपना असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ बचाठरखा है.