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पर्यावरण पर लॉकडाउन के सकारात्मक प्रभाव

(अंकित पचौरी) भोपाल। आज विश्व कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहा है। शहर से लेकर गांव तक सरकार ने लॉकडाउन किया है। एक तरफ लोग बन्द की बजह से परेशान है, साथ ही ट्रेन, बसे, हवाई सर्विस बन्द होने के कारण लोगों की जिंदगी जैसे थम सी गई है। लेकिन वहीं एक ओर लॉकडाउन के कारण पर्यावरण में बहुत से सुधार भी देखने को मिल रहे है। 

कोरोना का भय सिर्फ पशु-पक्षियों को ही आराम लेकर नहीं आया, मनुष्यों के स्‍वास्‍थ्‍य के दृष्टिकोण से भविष्‍य के लिए भीआराम लेकर आया है। क्‍योंकि जिस तरह से पर्यावरण में विषैली गैसों का अंतर कम हुआ है, उससे यह तो स्पष्ट हो गया है कि जिन तमाम बीमारियों से लोग अनायास ही काल में चले जाते थे, उनमें बहुत बड़ा कारण अशुद्ध हवा थी, लेकिन अब हवा का इंडेक्‍स लगातार सुधर रहा है। कोरोना वायरस के भय ने लोगों की अधिक जाने-आने एवं लम्‍बी यात्राओं पर रोक लगी है। देश भर में लॉकडाउन है। इस कारण वातावरण में तेजी से सुधार हो रहा है। स्‍वास्‍थ्‍य मानकों के लिए हवा का स्‍तर जैसा होना चाहिए वह कई जगहों पर आ गया है। अनेक स्‍थानों पर यह आने की प्रक्रि‍या में है।

-: भविष्य में रहना होगा तैयार :-

लॉकडाउन की स्‍थ‍ितियों में अब वक्‍त आ गया है कि हम सभी सबक लें, सिर्फ इंसान को ही अपने हिसाब से जीने का हक नहीं है, प्रकृति में हर पशु-पक्षी का भी पर्यावरण पर उतना ही अधिकार है, जितना कि मनुष्‍यों का है। यह जानकर और मानकर आज हमारे अपने व्‍यवहार में परिवर्तन लाने की जरूरत आ गई है। कोरोना महामारी आज नहीं तो कल चली ही जाएगी लेकिन फिर कोई वायरस महामारी न बने, इसके लिए जरूरी हो गया है कि हम पर्यावरण के साथ कदम से कदम मिलाकर चलें। आगे भी यूं ही पक्षियों की चहचहाहट बनी रहे और पर्यावरण के आए यह अच्‍छे दिन कभी जुदा ना हों, यह देखना अब हम सभी की जिम्‍मेदारी है।

खास बातचीत:-

लॉकडाउन के चलते नमूने न मिलने के कारण वास्तविक आंकड़े नही है। परंतु पर्यावरण में सुधार हुआ है। प्रदूषण में लगातार कमी आरही है। उद्योग एवं वाहनों के न चलने से उत्सर्जित रासायनिक गैसों की कमी आई है। मेरी आमजन से अपील है कि जिस तरह वर्तमान में प्रदूषण कम हुआ है भविष्य में भी इसी प्रकार बनाये रखने का प्रयास करें। 

आर.एस. कोरी

सदस्य सचिव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, भोपाल

यही अवसर है जब सामान्यजन की समझ प्रदूषण के प्रति विकसित की जा सकती है, प्रदूषण की स्थिति किसी इमरजेन्सी से कम नहीं है और इससे होने वाली हानियों  से बचाव के लिए ठोस कदम उठाने होगें, जिसके दूरगामी परिणाम काफ़ी सार्थक होंगे।

हेमंत सिंह 

जैव प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ, भोपाल

वायु गुणवत्ता सूचकांक की स्थिति तालाबंदी के पूर्व अधिक थी, जो स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से हानिकारक है, परन्तु आज की स्थिति संतोषजनक है,शहरो में तालाबंदी के चलते प्रदूषण कम होने से वायु गुणवत्ता में तेजी से सुधार हुआ है।

डॉ. हरेन्द्र शर्मा 

विभागाध्यक्ष, पर्यावरण विज्ञान विभाग 

जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर

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