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जल्द आ रही है ज़ैग़म की नई फिल्म 'अलिफ़', मुख्य किरदार में दिखेंगी शाहिद की मां

पहले पत्रकार फिर लेखक और उसके बाद फिल्म निर्माता-निर्देशक बने मल्टीटैलेंटेड राइटर-डॉयरेक्टर ज़ैग़म इमाम जल्द ही अपनी दूसरी फीचर फिल्म 'अलिफ़' के साथ सिनेमाघरों में दस्तक देने वाले हैं। जैगम की पहली फिल्म 'दोजख़ इन सर्च ऑफ़ हेवेन' को कई अवॉर्ड मिले थे। इस फिल्म की महानायक अमिताभ बच्चन ने भी खुद तारीफ की थी। अपनी नई फिल्म के बारे में ज़ैग़म ने न्यूज 18 इंडिया डॉट कॉम से खास बातचीत की। पेश है बातचीत के अंश-

ज़ैग़म ने बताया कि बॉलीवुड की मसाला फिल्मों से अलग 'अलिफ़' की कहानी मदरसे में पढ़ने वाले एक ऐसे मुस्लिम बच्चे की है, जो पढ़ लिखकर डॉक्टर बनना चाहता है, लेकिन कुछ धार्मिक कट्टरपंथी उसे ऐसा करने से रोकते हैं। बनारस में शूट हुई इस फिल्म के पोस्ट प्रोडक्शन का काम हाल ही में पूरा हुआ है।

इससे पहले ज़ैग़म अपने उपन्यास पर 'दोज़ख़ इन सर्च ऑफ़ हेवेन' नाम की फिल्म बनाकर चर्चा में आए थे। देश और दुनिया के आधा दर्जन से भी अधिक फिल्म फेस्टिवल्स में नामिनेशंस और पुरस्कार जीते थे। पहली बार अमिताभ से वाहवाही मिलने के बाद अब ज़ैग़म की दूसरी फिल्म की खास बात ये भी है कि उन्हें इस बार भी बच्चन परिवार का सपोर्ट मिला है।  à¤®à¤¶à¤¹à¥‚र अभिनेत्री और राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने फिल्म 'अलिफ़' में वॉयस नरेटर की भूमिका निभाई है।

'अलिफ़' में मुख्य भूमिकाओं में शाहिद कपूर की मां नीलिमा अज़ीम, थियेटर का जाने माने कलाकार दानिश हुसैन, साउथ के सुपरस्टार आदित्य ओम, टीवी के जाने माने चेहरे पवन तिवारी, भावना पानी, सऊद मंसूरी, ईशान कौरव समेत मध्य प्रदेश कैडर की आईपीएस अधिकारी सिमाला प्रसाद भी नजर आएंगीं।

नवंबर में ऑस्ट्रेलिया के मशहूर इंडियन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ़ क्वींसलैंड में बतौर वर्ल्ड प्रीमयर प्रदर्शित की गई 'अलिफ़' की भारत की कई जानी मानी यूनिवर्सिटीज़ में स्क्रीनिंग की जा चुकी है। हाल ही में ये फिल्म अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भी दिखाई गई, जहां इसे काफी सराहना मिली।

'अलिफ़' बाइस्कोप ग्लोबल फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट स्क्रीन प्ले और बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट के अवॉर्ड से भी नवाज़ी जा चुकी है। 'अलिफ़' के निर्माता खुद ज़ैग़म इमाम और अभिनेता से प्रोड्यूसर बने पवन तिवारी हैं। बतौर पत्रकार अपना करियर शुरू करने वाले ज़ैग़म इमाम देश के कई जाने माने मीडिया संस्थानों को अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

ज़ैग़म साहित्कार के तौर पर भी अपनी खासी पहचान रखते हैं। उनके दो उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं जो भारत की कई जानी मानी यूनिवर्सिटीज़ की रिफरेंस बुक में शामिल हैं। हाल ही मध्य प्रदेश सरकार की ओर से आयोजित खजुराहो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में सिनेमा में उनके योगदान लेकर उन्हें सम्मानित भी किया गया है।

ज़ैग़म ने बताया à¤•à¤¿ 'अलिफ़' बनाने का मकसद पढ़ाई को लेकर जागरूकता फैलना है। इंसान को किसी भी कीमत पर बेहतर शिक्षा हासिल करनी चाहिए और 'अलिफ़' इस बात का पुरजोर समर्थन करती है। फिल्म इस बात को भी दर्शाती है कि अगर आप शिक्षित हैं तो समाज के लिए बेहतर तरीके से योगदान दे सकते हैं। बॉलीवुड में ऑफ़ बीट सिनेमा निर्माण के बारे में पूछे गए सवाल पर जैगम ने बताया कि फिल्मों का मकसद सिर्फ मनोरंजन नहीं होना चाहिए। दुनिया भर में सिनेमा समाज सुधार का बड़ा माध्यम भी है, लेकिन भारत में स्थिति थोड़ी अलग है, कॉमर्शियल सिनेमा और मनोरंजन के नाम पर कुछ भी परोसा जा रहा है।

ऑफ़ बीट सिनेमा के जरिए मनोरंजन के साथ-साथ समाज में सकात्मक परिवर्तन का संदेश दिया जाना संभव है। पत्रकारिता से लेखन की दुनिया में और फिर लेखन की दुनिया से बॉलीवुड में आने के बारे में पूछे जाने पर जैगम ने कहा कि उनकी कहानियों के कहे जाने के लिए एक बड़े मंच की जरूरत थी, सिनेमा सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया में अभिव्यक्ति का बड़ा माध्यम है और इसीलिए वो धीरे-धीरे सिनेमा की तरफ शिफ्ट हो गए।

अपनी फिल्मों को महान निर्देशक स्वर्गीय सत्यजीत रे और ईरान के मशहूर फिल्मकार माजिद मजीदी से प्रभावित बताने वाले ज़ैग़म इस बात पर खुशी भी जताते हैं कि पिछले कुछ समय में ऑफ़ बीट और यूनिक सिनेमा के दर्शक भारत में काफी बढ़ें हैं और ये भारतीय सिनेमा उद्योग के लिए बेहद सूकून की बात है।

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