सिंधिया का जो दवदवा कांग्रेस में था वो भाजपा में नहीं
कांग्रेस का मतलव सिंधिया परिवार ही था .बात चाहे कैलाश वासी महाराज माधवराव सिंधिया जी की रही हो या ज्योतिरादित्य सिंधिया की .कांग्रेस की राजनीती ग्वालियर चम्बल ही नहीं बल्कि प्रदेश भर में सिंधिया के इर्द -गिर्द घूमती थी ,बगैर सिंधिया के कोई बड़ा निर्णय लेने की क्षमता किसी में नहीं थी .चाहे दिग्गी राजा हों या कोई और हाथ घुटने के बल नीचे रखते थे .कांग्रेस में सिंधिया का जादू जनता में सर चढ़कर बोलता था .मगर अब सब कुछ बदल गया है .ज्योतिरादित्य न अब महाराज रहे और न उनका जादू चल रहा है और न ही उनके इर्द -गिर्द भाजपा है .आज दोयम दर्जे के भाजपा नेता उनके बारे में बोल रहे हैं . हो सकता है यह सब बातें किसी को अच्छी न लगें पर कड़वा सच तो यही है .कैलाशवासी महाराज माधवराव सिंधिया के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया का कांग्रेस में न केवल जलबा था बल्कि जो दवदवा था .वह अब नहीं है . कांग्रेस में देश की राष्ट्रीट राजनीती में सिंधिया को चमकता सितारा कहा जाता था .अब पीछे की लाइन में खड़े हैं .चाडक्य ने कहा है की सफल बही है जो धैर्य और संयम रखता है ,चाहे बो राजनीती का क्षेत्र हो या कोई और .