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हत्या पर धारा 302 नहीं, ठगी पर 420 की जगह 316... IPC खत्म होने से पुलिस वाले भी कन्फ्यूज

इंडियन पीनल कोड अब इतिहास को चुका है. कारण, इसकी जगह भारतीय न्याय संहिता अब कानून बन चुका है. इसके साथ ही किसी भी जुर्म के होने पर अपराधी को पकड़कर सजा दिलाने से पहले घटना की प्रथम रिपोर्ट यानी एफआईआर लिखने तक की सारी गतिविधि बदल चुकी हैं. लिहाजा वकील, जांच अधिकारी और अदालतों से जुड़े सभी लोगों में उहापोह की स्थिति है. 

 

जांच अधिकारियों ने Bharatiya Nyaya Sanhita की ट्रेनिंग पर जोर दिया है. नई Bharatiya Nyaya Sanhita में हत्या के लिए नया सेक्शन 101, ठगी के लिए 316 और रेप के लिए 63, 64 और 70 हो गया है. दिल्ली पुलिस के पूर्व एसीपी और दिल्ली पुलिस महासंघ के चीफ वेदभूषण ने बताया कि गुलामी की प्रतीक इंडियन पीनल कोड अब भारतीय न्याय संहिता के बतौर विक्टिम फ्रैंडली बनाया गया है. लेकिन पूरी तरह से इन बदलावों को समझने में कम से कम महीने भर का वक्त लगेगा. 

 

बता दें कि (आईपीसी) में 511 धाराएं थीं, जो कम होकर भारतीय न्याय संहिता में सिर्फ 358 रह गई हैं. यही वजह है कि शामिल धाराओं का क्रम भी बदल गया है. दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक की जानकारी में रिफ्रेश बटन दब गया है. लिहाजा नई संहिता के लिए ट्रेनिंग की जरूरत पड़ेगी और हम इस पर काम कर रहे हैं क्योंकि कानून जनता के लिए ही है.

 

इन धाराओं में भी हुआ बदलाव

 

-भारतीय दंड संहिता की धारा 302 हत्या के लिए सजा थी. अब हत्या धारा 101 के तहत आएगी.

-भारतीय दंड संहिता की धारा 420 धोखाधड़ी का अपराध था, जबकि नए विधेयक में धोखाधड़ी धारा 316 के तहत आती है. अब कोई धारा 420 नहीं है.

-भारतीय दंड संहिता की धारा 144 जो अवैध सभा से संबंधित है, अब धारा 187 कहलाएगी.

-धारा 121, जो भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने या युद्ध छेड़ने का प्रयास करने, या युद्ध छेड़ने के लिए उकसाने से संबंधित है. उसको अब धारा 146 कहा जाएगा.

-आईपीसी की धारा 499, जो मानहानि से संबंधित है, अब नए कानून की धारा 354 के तहत आती है.

-आईपीसी के तहत बलात्कार से संबंधित धारा 376 अब धारा 63 है और धारा 64 सजा से संबंधित है, जबकि धारा 70 सामूहिक बलात्कार के अपराध से संबंधित है.

-आईपीसी की धारा 124-ए, जो राजद्रोह से संबंधित है, अब नए कानून के तहत धारा 150 के रूप में जानी जाती है.

 

फिर से ट्रेनिंग की जरूरत

 

जुडिसियल ऑफिसर, वकील, पुलिसवालों को धाराएं याद हो गई थी अब नये सिरे से पढ़ना पड़ेगा. कुछ इसे 1 अप्रैल से लागू करने की बात कह रहे ताकि सभी अच्छे से नये कानून हो समझ लें. सबसे पहले पुलिस, कोर्ट, और जुडिसियल ऑफिसर पूरी तरह से अध्ययन के बाद बारीकी समझेंगे. सुप्रीम कोर्ट के वकील अवनीश त्यागी ने कहा कि 2 से तीन महीने की ट्रेनिंग होनी चाहिए ताकि सभी पूरी तरह से नई संहिता की जानकारी कर लें तभी पीड़ित के साथ न्याय हो पाएगा.

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