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सुप्रीम कोर्ट की EVM के आलोचकों को नसीहत, बैलट पेपर पर लौटने को लेकर कही ये बात

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की आलोचना करने वालों की निंदा की और कहा कि देश में चुनाव कराना एक बड़ी चुनौती है, ऐसे में हमें सिस्टम को पीछे की तरफ नहीं ले जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में उस समय का भी जिक्र किया, जब बैलेट पेपर से चुनाव होते थे और मतपेटियां लूट ली जातीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ एडीआर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की। दरअसल याचिका में मांग की गई थी कि ईवीएम में डाले जाने वाले वोट का सौ फीसदी वीवीपैट मशीन के साथ क्रॉस वेरिफिकेशन कराया जाए ताकि मतदाता को पता चल सके कि उसने सही वोट दिया है। याचिका में कहा गया कि कई यूरोपीय देश भी ईवीएम का इस्तेमाल कर फिर से बैलेट पेपर से मतदान पर लौट चुके हैं। इस पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि देश में चुनाव कराना बड़ी चुनौती है और कोई भी यूरोपीय देश ऐसा नहीं कर सकता। 

 
 पीठ ने कहा कि 'आप जर्मनी की बात कर रहे हैं, लेकिन वहां की जनसंख्या क्या है। मेरे गृहराज्य बंगाल में भी जर्मनी से ज्यादा जनसंख्या है। हमें चुनावी प्रक्रिया में विश्वास रखना चाहिए और इसे पीछे की तरफ से नहीं खींचना चाहिए।' पीठ ने कहा कि 'भारत में करीब 98 फीसदी पंजीकृत मतदाता हैं। वोटों की गिनती में कुछ गड़बड़ी हो सकती है, जिसे दूर किया जा सकता है।' जस्टिस खन्ना ने कहा कि 'हमने वो वक्त भी देखा है, जब ईवीएम नहीं थी। हमें ये बताने की जरूरत नहीं है कि उस समय क्या होता था।' उन्होंने कहा कि किसी प्रक्रिया में इंसानों के दखल से समस्या होती है और पक्षपात होने की आशंका होती है, लेकिन मशीनें बिना किसी इंसानी दखल के सही तरीके से काम करती हैं। पीठ ने चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुए वकील मनिंदर सिंह से कहा कि 'वह कोर्ट को ईवीएम से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध कराए, जिसमें ईवीएम के काम करने, उसे स्टोर करने संबंधी सारी जानकारी दें।' कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील से ये भी पूछा कि 'ईवीएम से छेड़छाड़ के दोषी को सजा का क्या प्रावधान है?'   
 
 
 

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