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मिड-डे-मील की किचन में मिलीं शराब की बोतलें!

महाराष्ट्र के सरकारी स्कूलों में बचत गुटों की ओर से तैयार कर बांटे जाने वाले पोषण आहार (मिड डे मिल) जहां बनाया जाता है उसका रियलिटी चेक करने 'आज तक' की टीम विदर्भ के अकोला पहुंची. जिस जगह पर खाना पकाया जा रहा था, वहां साफ-सफाई देख कर किसी के भी होश उड़े जाएंगे.

 

खाना गैस पर नहीं लकड़ी पर पकाया जा रहा था. खाने की सामग्रियां जिस कोठी में रखी गई थी, वहां मकड़ी के जाले लगे थे. वहां मौजूद एक महिला ने बताया कि खाना साफ-सुथरे तरीके से ही बनाया जाता है. काम करने वालों की शिकायत थी कि उनका वेतन काफी कम है और वो भी समय पर नहीं मिलता.

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में महानगर पालिका के पहली कक्षा से चौथी कक्षा तक सरकार की ओर से पढ़ाई करने वाले बच्चों को पोषण आहार दिया जाता है. सोमवार से शनिवार तक दोपहर दो बजे स्कूल के बच्चों को खाना दिया जाता है. स्कूल के नजदीक के इलाके के महिला बचत गुटों को इस पोषण आहार हर वर्ष ठेका दिया जाता है.

महाराष्ट्र के पुणे जिले में 3730 स्कूलों में मिड डे मील राज्य सरकार की ओर से छात्रों को रोजाना दिया जाता है. पुणे, पिंपरी और चिंचवाड़ा शहर में लगभग 130 महिला बचत गुट हैं, स्कूलों में रोजाना मिड डे मील जिसे खिचड़ी भी कहते हैं, सप्लाई करते हैं. इस इलाके में दो बड़े मिड डे मील सेंटर्स भी हैं, जहां की क्वालिटी चेक करने और जमीनी हकीकत जानने का 'आज तक' ने प्रयास किया.

पुणे के सुरुचि केटरर्स की रसोई में 'आज तक' की टीम पहुंची तो वहां एक बावर्ची स्नान कर रहा था. कैमरा देखकर वो शख्स जल्दबाजी में वहां से निकल गया. रसोई में फर्श पर चावल-दाल बिखरे नजर आए और पास में टमाटर का क्रेट था जिसमें कुछ टमाटर गले हुए, कुछ सड़े हुए, तो कुछ काले धब्बे वाले थे.

रसोई के ऊपरवाले हिस्से में शराब की बोतलें बिखरी पड़ी नजर आईं. इसी बचत गुट द्वारा तकरीबन 28 हजार छात्रों के लिए रोजाना दो बार खिचड़ी पकाई जाती है. वहीं महिला बचत गुट के मालिक विजय बेदमुथा का कहना है कि खाने की क्वालिटी अच्छी होती है और प्रशासन द्वारा तय गए सभी मापदंड का पालन किया जाता है.

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