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इनकम टैक्स का नया कानून इन 5 कारणों से करेगा परेशान

नोटबंदी के बाद कालेधन पर लगाम लगाने के लिए केन्द्र सरकार ने इनकम टैक्स कानून में अहम संशोधन किए हैं. इन संशोधनों से इनकम टैक्स आंकलन करने वाले अधिकारी की शक्तियों में इजाफा करते हुए प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी आय अथवा खर्च को समझाने में विफल होता है तो उसपर उधिकतम 83 फीसदी की दर से टैक्स लगाया जाए. संशोधन से पहले यह सीमा महज 35 फीसदी पर थी.

टैक्स नियमों में हुए इस संशोधन से सीधा असर आय और खर्च के इन पांच क्षेत्रों पर पड़ना तय है. इन प्रावधानों से केन्द्र सरकार के उस निर्देश को भी धक्का लगना तय है जिससे उसने टैक्स विभाग के आंकलन अधिकारियों को आम आदमी को परेशान न करने की बात कही है.

इनकम टैक्स कानून में संशोधन इसलिए किया गया था जिससे टैक्स चोरी कर प्रतिबंधित 500 और 1000 रुपये की करेंसी को जमा करने वालों से टैक्स वसूला जा सके. लेकिन नए कानून के बाद उन लोगों को अलग-अलग देखना नामुनकिन है जिन्होंने इनकम टैक्स कानून का सहारा लेते हुए टैक्स चोरी की हुई प्रतिबंधित रकम को जमा कराया है और जिन्होंने कानून के दायरे में रहते हुए अपना पैसा जमा किया है.

 

नए कानून से कहां हो सकती है परेशानी

1. किसी दोस्त से लिया कर्ज
आपने यदि अपनी किसी आय को किसी दोस्त से लिए कर्ज के तौर पर दर्शाया है और कर्ज की रकम टैक्स दायरे में आती है तो इनकम टैक्स अधिकारी को आपके ऊपर शक हो सकता है. इस स्थिति में वह आपसे मित्र से लिए गए कर्ज का अधिक ब्यौरा मांग सकता है. यह ब्यौरा उपलब्ध न होने की स्थिति में आपके ऊपर टैक्स उसी दर पर लगाया जाएगा जितना कि कालाधन जमा कराने वालों पर लगाया गया है.

2. विरासत में मिली ज्वैलरी
आपने यदि घोषित आय में 500 ग्राम से अधिक की ऐसी ज्वैलरी को दर्शाया है जहा आप दावा कर रहे हैं कि उक्त ज्वैलरी आपको पूर्वजों से विरासत में मिली है तो आपक एक बार फिर इनकम टैक्स विभाग के राडार में आ सकते हैं. विरासत में मिली ज्वैलरी का समुचित ब्यौरा जिससे टैक्स अधिकारी संतुष्ट हो सके, न मिलने की स्थिति में एक बार फिर आपके ऊपर लगने वाला टैक्स कालाधन जमा कराने वालों के टैक्स दर के बराबर होगा.

3. छोटे कारोबारी का कैपिटल
आपने यदि आपना कारोबार शुरू करने के लिए कैपिटल की व्यवस्था अथवा सीड कैपिटल की व्यवस्था का उचित लेखा-जोखा नहीं रखा है और यह रकम भी टैक्स के दायरे में आती है जो जाहिर है इनकम टैक्स विभाग आपके कैपिटल पर सवाल खड़ा कर सकती है. इससे बचने के लिए आपको अपने टैक्स एसेस्मेंट ऑफिसर को पर्याप्त प्रूफ के साथ दिखाना होगा कि कारोबार के लिए जुटाया गया धन कालेधन की श्रेणी में नहीं आता. ऐसा न कर पाने की स्थिति में आपके कैपिटल अमाउंट पर उतना ही टैक्स थोपा जा सकता है जितना कैलेधन के लिए प्रस्तावित किया गया है.

4. बेटी की शादी में खर्च
आपने घर में पड़ी शादी के लिए बेहिसाब खर्च किया है तो इनकम टैक्स विभाग आपको अपने दायरे में ले सकता है. इसके लिए शादी की शुरुआती खरीदारी से लेकर शादी के फंक्शन तक हुए आपके खर्च को यदि आपका बैंक बैलेंस सपोर्ट नहीं करता तो टैक्स विभाग आपसे शादी में कालेधन को खर्च करने के ऐवज में टैक्स वसूल सकता है.

5. घरेलू खर्च में इजाफा
नोटबंदी के बाद यदि आपके मासिक खर्च में एकएक इजाफा दर्ज हुआ है तो टैक्स विभाग आपको पकड़ने के लिए तैयार है. घर के खर्च पर नजर रखने के लिए आपके बैंक खाते से हो रहे पेमेंट को आधार मानते हुए इनकम टैक्स विभाग आपके मासिक घर खर्च का आंकलन कर सकता है. वहीं वार्षिक इनकम डेक्लरेशन में यदि टैक्स विभाग को अधिक खर्च की विसंगति पकड़ में आती है और टैक्स एसेसमेंट ऑफिसर को आप अपना घर खर्च समझाने में असमर्थ होते हैं तो भी आपके ऊपर अधिक दर पर टैक्स लगाया जा सकता है.

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