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कांग्रेस के बड़े नेता ही कर रहे हैं एकता तार-तार

ग्वालियर। मध्यप्रदेश में 125 वर्ष पुरानी कांग्रेस पिछले 13 वर्षों से सत्ता से बाहर हैं। कांग्रेस के नेता सत्ता से बाहर होने के बाबजूद आज भी गुटबाजी में फंसे है। हाल ही में कांग्रेस में एकजुटता की बातें बडे नेताओं के साथ चली। वहीं भोपाल में डबरा के बाद एकता दिखाई भी दी। उसके बाद एकता फिर तार-तार होती दिखाई देने लगी।
विधानसभा उपचुनाव में भिंड के अटेर में हेमंत कटारे ने आज अपना नामांकन पर्चा भरा। उनका पर्चा भरवाने विधानसभा नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह सहित प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह सहित अन्य नेता तो भिंड पहुंचे लेकिन ग्वालियर चंबल संभाग के विकास के मसीहा कहलवाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया नदारत रहे। सूत्र बताते है कि संभवत: सिंधिया चुनाव प्रचार में आएंगे लेकिन राजनैतिक पंडितों का मानना है कि यदि पर्चा भरवाने सिंधिया पहुंचते तो कांग्रेस की एकता को बल मिलता।
सिंधिया द्वारा अब मीडिया सहित सोशल मीडिया पर अपने को हाईलाइट करना शुरू कर दिया गया है, लेकिन उनके कृत्य से कांग्रेस की एकता तार तार हो रही है। या यूं कहें कि कांग्रेस के बडे नेता ही एकता को अपने स्वार्थों के चलते पलीता लगाने में लगे हैं। दरबारी लाल की सभी कांग्रेस के गुटीय नेताओं को सलाह है कि वह अपना हित छोड़ कांग्रेस के हित की बात करेंगे तो कांग्रेस की नैया पार लगा पाएंगे नहीं तो बडे नेता ही एकता को तार तार करते रहेंगे।

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