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कलायें जीवन को लयबद्ध एवं सुसंस्कृत बनाती हैं : राज्यपाल प्रो. कोहली

ग्वालियर। कलाओं का उद्देश्य मनोरंजन नहीं, कलायें संस्कृति को समृद्ध करती हैं। साथ ही मानव जीवन को लयबद्ध एवं सुसंस्कृत बनाती हैं। उक्त आशय के विचार मध्यप्रदेश व गुजरात के राज्यपाल एवं कुलाधिपति प्रो. ओमप्रकाश कोहली ने व्यक्त किए। प्रो. कोहली राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह को बतौर अध्यक्ष संबोधित कर रहे थे। दीक्षांत समारोह में पद्मभूषण स्व. उस्ताद अब्दुल हलीम जाफर खाँ साहब को सितार वादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये मरणोपरांत डीलिट् की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया। कुलाधिपति प्रो. कोहली द्वारा उस्ताद जी के सुपुत्र श्री जुनैन हलीम खाँ को यह मानद उपाधि भेंट की गई। राज्यपाल ने हलीम जाफर खाँ के सुपुत्र उस्ताद जुनैन खाँ एवं दीक्षांत समारोह में पीएचडी, स्वर्ण पदक और स्नातक व स्नातकोत्तर उपाधियाँ प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई एवं शुभकामनायें दीं। राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय का तृतीय दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय के स्वरांग परिसर में आयोजित किया गया।
राज्यपाल प्रो. कोहली ने कहा कि ग्वालियर केवल मध्यप्रदेश ही नहीं, देश के विख्यात कलाधर्मी शहरों में शामिल है। उन्होंने कहा ग्वालियर के शासकों ने खुले मन से कला को बढ़ावा दिया। इनमें राजा मानसिंह तोमर प्रमुख हैं। संगीत सम्राट तानसेन व बैजू बाबरा जैसे महान संगीतज्ञ ग्वालियर के ही थे। प्रो. कोहली ने कहा ग्वालियर घराना संगीत के क्षेत्र में अपना अलग स्थान रखता है। यहाँ की ध्रुपद एवं अष्ठांग गायकी का प्रभाव देश के अन्य सांगीतिज्ञ घरानों में दिखाई देता है। राज्यपाल ने कहा प्रदेश सरकार ने ग्वालियर में संगीत एवं कला विश्वविद्यालय स्थापित कर प्रशंसनीय कार्य किया है। 
महापौर विवेक नारायण शेजवलकर ने संगीत एवं कला विश्वविद्यालय द्वारा कला को बढावा देने के लिये किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा यह विश्वविद्यालय राजा मानसिंह तोमर के सपनों को पूरा कर रहा है।

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