Homeव्यापार ,
TAX पर सख्ती: नहीं चलेगी फर्जी रसीद, IT को देना होगा किराएदार होने का सबूत

आयकर का बोझ घटाने के लिए किराये की फर्जी रसीद का प्रयोग करने वालों पर सरकार सख्त होने जा रही है। आयकर विभाग गलत दस्तावेज लगाकर टैक्स बचाने वालों से संबंधित प्रॉपर्टी का वैध किरायेदार होने का सबूत मांग सकता है। आयकर अपीलीय अधिकरण ने आय की समीक्षा करने वाले अधिकारी को इस संबंध में गहन जांच करने का अधिकार भी दिया है।

अधिकरण ने फैसला दिया है कि अधिकारी रिटर्न में किराये की रसीद लगाने वाले व्यक्ति से किरायेदार होने का सबूत मांग सकता है। अधिकारी यह पूछ सकता है कि आप वहां रहते हैं या नहीं और अगर अधिकारी को लगता है कि जमा की गई रसीद फर्जी है तो वह किराये का करारनामा, आवासीय सोसाइटी को लिखे गए लेटर, बिजली या पानी के बिल आदि चीजें मांग सकता है। मौजूदा समय आयकर से राहत के लिए केवल किराये की रसीद जमा करनी होती है। अगर किराया एक लाख सालाना से अधिकर हो तो मकान मालिक का पैन नंबर देना होता है।

अधिकरण के फैसले के बाद इसमें एक बदलाव होगा। अब किराया देने की बात साबित करने का जिम्मा रसीद का प्रयोग करने वाले पर होगा। आयकर विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने फैसले की सराहना करते हुए कहा है कि अधिकरण के फैसले से नकली रसीद लगाने वालों पर लगाम लगेगी। बड़ा मामला होने की सूरत में विभाग अधिकरण के आदेश के अनुपालन के लिए समीक्षा अधिकारी को मौके पर भी भेज सकता है।

मालूम हो कि नौकरीपेशा लोगों को आयकर अधिनियम की धारा 10(13ए) के तहत मकान किराये पर छूट मिलती है। कर्मचारी प्राप्त किराया भत्ते (एचआरए) या मूल वेतन के 50 फीसदी (मेट्रो सिटी) अथवा 40 फीसदी (अन्य शहर) या फिर दिए गए किराये में मूल वेतन का 10 फीसदी कम, इनमें जो भी सबसे कम हो, तक की छूट पा सकता है।

Share This News :