समाज के मà¥à¤‚ह पर करारा तमाचा है 'बेगम जान'
रेटिगः 4 सà¥à¤Ÿà¤¾à¤°
डायरेकà¥à¤Ÿà¤°à¤ƒ शà¥à¤°à¥€à¤œà¥€à¤¤ मà¥à¤–रà¥à¤œà¥€
कलाकारः विदà¥à¤¯à¤¾ बालन, इला अरà¥à¤£, गौहर खान, पलà¥à¤²à¤µà¥€ शारदा, चंकी पांडेय, आशीष विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€, रजत कपूर और नसीरूरदà¥à¤¦à¥€à¤¨ शाह
विदà¥à¤¯à¤¾ बालन को à¤à¤• जानदार परफॉरà¥à¤®à¥‡à¤‚स की दरकार थी, और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बेगम जान के साथ वह मौका मिल गया है. बेगम जान में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दिखाने की कोशिश की है कि अगर रोल सॉलिड ढंग से लिखा गया हो तो वे उसे बेहतरीन ढंग से अंजाम दे सकती हैं. à¤à¤¸à¤¾ मौका इस बार उनके हाथ लग गया है. बंगाली हिट फिलà¥à¤® राजकहिनी के इस हिंदी रीमेक में हर वह बात जो à¤à¤• बेहतरीन सिनेमा के लिठजरूरी होती है. फिर चाहे वह बेहतरीन अदाकारी हो, कैमरे का कमाल हो, सॉलिड कैरकà¥à¤Ÿà¤°à¤¾à¤‡à¤œà¥‡à¤¶à¤¨ हो या कहानी. हर मोरà¥à¤šà¥‡ पर “बेगम जान” खरी उतरती है. फिलà¥à¤® पूरी तरह से इस बात पर फोकस है कि मरà¥à¤¦à¥‹à¤‚ की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में औरतों को अपने दम पर जीना और मरना दोनों ही आता है.
कहानी की बात
कहानी बेगम जान (विदà¥à¤¯à¤¾ बालन) की है जो कोठा चलाती है और जहां कà¥à¤› लड़कियां रहती हैं. इन औरतों की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ इसी में सीमित है और यहां सतà¥à¤¤à¤¾ चलती है तो बेगम जान की. फिलà¥à¤® की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ विà¤à¤¾à¤œà¤¨ और आजादी के साथ होती है. à¤à¤¸à¥€ आजादी जो अपने साथ तà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¦à¥€ लेकर आई और फिलà¥à¤® में आजादी को लेकर जो तंज कसा गया है वह कमाल है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जब बेगम यह सवाल करती है, “à¤à¤• तवायफ के लिठकà¥à¤¯à¤¾ आजादी...लाइट बंद सब à¤à¤• बराबर...” à¤à¤¸à¥‡ में आजादी के मायनों पर सवालिया निशान लग जाता है. फिलà¥à¤® का औरत और समाज में उसके असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को लेकर जिस तरह के सवाल पैदा किठगठहैं, वे वाकई लंबे समय से बॉलीवà¥à¤¡ में से ढंग से नहीं आ सके थे. फिर विà¤à¤¾à¤œà¤¨ की तà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¦à¥€ के साथ à¤à¤• वेशà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ और उसमें रहने वाली औरतों की यह कहानी à¤à¤¸à¤¾ मौका कहीं नहीं देती है जहां कहीं à¤à¥€ सà¥à¤•à¥à¤°à¥€à¤¨ से इधर-उधर देखने का मौका मिले. फिर फिलà¥à¤® के बीच में इला अरà¥à¤£ जो बहादà¥à¤° महिलाओं की कहानियां सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¥€ हैं, वे à¤à¥€ रोचक है.
सà¥à¤Ÿà¤¾à¤° अपील
शà¥à¤°à¥€à¤œà¥€à¤¤ ने हर पातà¥à¤° को इतने सॉलिड ढंग से उकेरा है कि यह फिलà¥à¤® सिरà¥à¤« विदà¥à¤¯à¤¾ पर फोकस नहीं है बलà¥à¤•à¤¿ यह à¤à¤• कोलाज की तरह है जिसमें डिफरेंट शेड है और हर शेड का अपना महतà¥à¤µ है. उनके बिना यह कोलाज कतई पूरा नहीं है. विदà¥à¤¯à¤¾ ने बेगम के किरदार में शानदार à¤à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग की है. जबरदसà¥à¤¤ डायलॉग बोले हैं, जो सिरà¥à¤« आंखें ही नहीं खोलते हैं बलà¥à¤•à¤¿ तमाचा जड़ते लगते हैं. फिर फिलà¥à¤® में गौहर खान का किरदार यादगार है. वे जब अपने सीने और जांघों के बीच अपने पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ का हाथ रखकर उसे औरत होने का मतलब समà¤à¤¾à¤¤à¥€ है तो फिलà¥à¤® पितृसतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• समाज के मà¥à¤‚ह पर तमाचा जड़ते हà¥à¤ लगती है. पलà¥à¤²à¤µà¥€ शारदा ने à¤à¥€ शानदार à¤à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग की है. बेगम जान के कोठे का जिस तरह का चितà¥à¤° खींचा गया है, वह वाकई दिल में बस जाता है, और हर महिलापातà¥à¤° दिल के करीब जान पड़ती हैं. चंकी पांडेय ने कबीर का जो रोल किया है, उसे लंबे समय तक याद रखा जा सकेगा. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दंगा कराने में माहिर काइयां शखà¥à¤¸ के अपने रोल को इतने खूबसूरती से निà¤à¤¾à¤¯à¤¾ है, जो वाकई काबिलेतारीफ है. उस किरदार से नफरत करने को मन करता है.
कमाई की बात
फिलà¥à¤® का संगीत बहà¥à¤¤ ही कà¥à¤²à¤¾à¤¸à¤¿à¤• ढंग है. जो फिलà¥à¤® के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• à¤à¤•à¤¦à¤® सटीक बैठता है. आज जब समाज में सांपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ का दंश तेजी से घà¥à¤²à¤¤à¤¾ नजर आ रहा है, और धरà¥à¤® पहचान बनता जा रहा है, बेगम जान ने सही समय पर दसà¥à¤¤à¤• दी है. उसने पà¥à¤°à¥à¤· पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ समाज के चेहरे को सामने लाने की कोशिश की है, और कई सीन तो à¤à¤¸à¥‡ हैं जो पà¥à¤°à¥à¤· होने पर शरà¥à¤®à¤¿à¤‚दा होने को मजबूर कर देते हैं. à¤à¤¸à¥‡ पà¥à¤°à¥à¤· जिनके लिठऔरत सिरà¥à¤« देह है, उससे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कà¥à¤› नहीं है. बेगम जान का बजट लगà¤à¤— 15 करोड़ रà¥. बताया जाता है. जबरदसà¥à¤¤ à¤à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग, मजबूत कहानी और अतीत की दरà¥à¤¦à¤¨à¤¾à¤• तसà¥à¤µà¥€à¤° फिलà¥à¤® से जोड़ने का काम करती है. फिलà¥à¤® को इस हफà¥à¤¤à¥‡ हॉलीवà¥à¤¡ की हिट फà¥à¤°à¥‡à¤‚चाइजी फासà¥à¤Ÿ à¤à¤‚ड फà¥à¤¯à¥‚रियस-8 से टकà¥à¤•à¤° मिलेगी. यहां मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¤¾ थोड़ा टफ हो सकता है. वैसे à¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾ की फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ को बॉकà¥à¤¸ ऑफिस पर धीरे-धीरे रफà¥à¤¤à¤¾à¤° पकड़ने का रिकॉरà¥à¤¡ रहा है.