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गुणवत्ता से समझौता किए बिना भी शिक्षा विस्तार संभव – श्री मुखर्जी

राष्ट्रपति के मुख्य आतिथ्य में सिंधिया कन्या विद्यालय का 60वाँ स्थापना दिवस समारोह आयोजित

गुणवत्ता से समझौता किए बिना भी शिक्षा विस्तार संभव है। सिंधिया कन्या विद्यालय ने इसे बखूबी साबित किया है। उक्त आशय के विचार राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज यहाँ सिंधिया कन्या विद्यालय के 60वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इस अवसर पर राज्यपाल श्री ओ पी कोहली, केन्द्रीय पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर एवं सिंधिया कन्या विद्यालय संचालक मण्डल की अध्यक्षा श्रीमती माधवी राजे सिंधिया मंचासीन थीं।
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने सिंधिया कन्या विद्यालय की संस्थापिका स्व. राजमाता विजयाराजे सिंधिया का स्मरण करते हुए कहा कि 60 साल पूर्व 1956 में जब देश में महिला साक्षरता की दर लगभग 10 प्रतिशत थी, तब राजमाता सिंधिया ने महिला शिक्षा विस्तार की चुनौती स्वीकारते हुए इस प्रकार की संस्था की स्थापना की, जो आज महिला सशक्तिकरण का पर्याय बन चुकी है। उन्होंने सिंधिया स्कूल के 60वे स्थापना दिवस पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इस अवसर पर हमें यह विचार करना चाहिए कि जब संस्था की स्थापना हुई तक हम कहाँ थे, आज ये संस्था कहाँ पहुँची और आगे कहाँ तक ले जाना है। उन्होंने संस्था की वर्तमान गवर्निंग बॉडी की चेयरपर्सन श्रीमती माधवी राजे सिंधिया सहित बोर्ड के सभी संचालकगण, अध्यापकगण और छात्राओं को बधाई दी और कहा कि सभी ने इस संस्था को एक उत्कृष्ट संस्थान बनाकर राजमाता विजयाराजे सिंधिया को सच्ची श्रृद्धांजलि दी है।
श्री मुखर्जी ने कहा आज से 40 वर्ष बाद जब आप सब इस संस्था का शताब्दी वर्ष मनायेंगे, तब मैं यहाँ मौजूद नहीं होऊँगा। पर अपेक्षा करता हूँ कि आप शिक्षा के क्षेत्र में उच्च मानक स्थापित करेंगे। साथ ही अपनी विरासत का संरक्षण करेंगे और रचनात्मक दिशा में संस्थान की विशिष्ट पहचान बनायेंगे।
राष्ट्रपति ने प्राचीन भारत की गौरवशाली शिक्षा प्रणाली का जिक्र करते हुए कहा कि 1700 वर्ष पहले हमारे देश में तक्षशिला और नालंदा जैसी महान शिक्षण संस्थायें थीं। इन शिक्षण संस्थाओ में पर्सिया, ग्रीक और चीन सहित कई देशों के विद्यार्थी पढ़ने आते थे। किंतु दु:ख की बात है कि आज सैंकड़ों विश्वविद्यालयों में से हमारे देश की मात्र दो विशिष्ट संस्थायें ही विश्व स्तर के संस्थानों में अपना स्थान बना पाईं हैं। इनमें एक आईआईटी दिल्ली और एक बैंगलोर की संस्था है। राष्ट्रपति ने देश में उच्च शिक्षा के विस्तार के साथ-साथ कौशल उन्नयन, ज्ञानवर्धन और चरित्र निर्माण पर विशेष बल दिया।
श्री मुखर्जी ने सिंधिया परिवार से अपने जुड़ाव व निकटता का भी जिक्र इस मौके पर किया। उन्होंने कहा कि संसद में राजमाता विजयाराजे सिंधिया हमसे वरिष्ठ थीं। इसके बाद स्व. माधवराव सिंधिया और वर्तमान में श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भी काम किया।
राज्यपाल श्री ओ पी कोहली ने इस अवसर पर कहा कि बालक एवं बालिका की शिक्षा में गुणात्मक अंतर है। बालिका की शिक्षा पूरी पीढ़ी को दिशा देती है। इसलिये 60 वर्ष पूर्व इस संस्थान की स्थापना कर राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने महिला सशक्तिकरण की मिसाल कायम की थी। श्री कोहली ने कहा कि वर्तमान जमाना ज्ञान की क्रांति का जमाना है। हमारे बालक-बालिकायें अद्यतन ज्ञान विज्ञान से जरूर जुड़ें, पर अपनी परंपरा व विरासत को न भूलें। उन्होंने कहा आध्यात्म व धर्म पर आधारित हमारे देश की समृद्ध परंपरा है। इसे आत्मसात कर हम कैसे आधुनिक बन सकते हैं, इसका हल शिक्षण संस्थाओं को खोजना होगा। इस दिशा में सिंधिया कन्या विद्यालय अच्छा काम कर रहा है। उन्होंने राजमाता विजयाराजे सिंधिया का समरण करते हुए कहा कि मुझे भी उनके साथ काम करने का मौका मिला। उनके व्यक्तित्व की छाप मेरे मानस पटल पर आज भी अंकित है।
केन्द्रीय पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि सिंधिया कन्या विद्यालय के बारे में सोचकर हमारा सिर गर्व से पूरे देश में ऊँचा हो जाता है। उन्होंने कहा जिस गति से हम अंग्रेजी, तकनीक व विज्ञान पढ़ें उसी गति से हमें भारतीय संस्कार ग्रहण करना चाहिए। सिंधिया कन्या विद्यालय की बेटियाँ पढ़ाई एवं संस्कार दोनों में अग्रणी हैं। श्री तोमर ने सिंधिया राज परिवार की रचनात्मक सोच पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आजादी से पहले ग्वालियर में सिंधिया राज परिवार ने जीआर मेडीकल कॉलेज व इंजीनियरिंग कॉलेज जैसे शिक्षण संस्थानों के साथ तमाम विकास कार्य अंजाम दिए। इसी कड़ी में राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने सिंधिया कन्या विद्यालय की स्थापना की थी। उन्होंने सिंधिया कन्या विद्यालय के 60वें स्थापना दिवस पर विद्यालय प्रबंधन, शिक्षकों व बच्चों को बधाई दी।
सिंधिया कन्या विद्यालय की संचालक मण्डल की अध्यक्षा श्रीमती माधवीराजे सिंधिया ने भी इस अवसर पर विचार व्यक्त किए और राष्ट्रपति श्री मुखर्जी के जीवन परिचय पर प्रकाश डाला। साथ ही राष्ट्रपति सहित सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए। स्वागत उदबोधन विद्यालय की प्राचार्य श्रीमती निशी मिश्रा ने किया। राष्ट्रपति महोदय ने सिंधिया कन्या विद्यालय परिसर में कमला क्लॉक टॉवर का उदघाटन भी किया। स्थापना दिवस समारोह का शुभारंभ व समापन राष्ट्रगान जन-गण-मन के साथ हुआ।
कार्यक्रम में खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह, सांसद श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, महापौर श्री विवेक नारायण शेजवलकर, श्रीमती प्रियदर्शनी राजे सिंधिया, राज्य के मुख्य सचिव श्री अंटोनी डिसा व पुलिस महानिदेशक श्री ऋषि कुमार शुक्ला तथा अन्य जनप्रतिनिधिगण, विद्यालय की गवर्निंग बॉडी के सदस्यगण और विद्यालय की छात्रायें व उनके अभिभावक मौजूद थे। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय की हैड गर्ल कु. गुनशीन कौर द्वारा सभी के प्रति आभार व्यक्त किया गया।
कारवड महागोनी पुस्तक का विमोचन
सिंधिया कन्या विद्यालय की 23 छात्राओं के कहानी संग्रह “कारवड महागोनी” का विमोचन भी स्थापना समारोह में राज्यपाल श्री कोहली द्वारा किया गया। राज्यपाल ने पुस्तक की प्रथम प्रति राष्ट्रपति महोदय को भेंट की।
इन्हें मिले पुरस्कार
राष्ट्रपति महोदय द्वारा विद्यालय की ऑलराउण्डर परर्फोरमेंस पुरस्कार विद्यालय की छात्रा कु. पवित्रा सिंह को प्रदान किया गया। स्पिरिट ऑफ एसकेव्ही का पुरस्कार कु. गुनशीन कौर और कक्षा 12वीं में अधिकतम अंक का पुरस्कार कु. उर्वशी सिंह को दिया गया। विजया अवार्ड से सुश्री ज्योत्सना व्रार को सम्मानित किया गया।

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