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वंदे मातरम् पर आमने-सामने आए महाराष्ट्र BJP और ओवैसी की पार्टी के MLA

मुंबई.राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम्' को स्कूल-कॉलेजों और सभी दफ्तरों में अनिवार्य करने को लेकर महाराष्ट्र में बीजेपी और ओवैसी की पार्टी (AIMIM) के विधायक आमने-सामने आ गए। तीन दिन पहले ही मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु में राष्ट्रगीत जरूरी करने का ऑर्डर दिया है। जिसके बाद बीजेपी विधायक राज पुरोहित महाराष्ट्र में भी इस फैसले को लागू करने की मांग कर रहे हैं। वहीं, सपा और एआईएमआईएम के नेता इसका विरोध कर रहे हैं। बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी भी 'भारत माता की जय' बोलने से इनकार करते रहे हैं। मुस्लिम MLAs ने क्या कहा...
- AIMIM के विधायक वारिस पठान ने कहा, ''मैं वंदे मातरम् नहीं गाऊंगा। चाहे कोई मेरी कनपटी पर रिवाल्वर ही क्यों ना रख दे। किसी एक विचारधारा को हम पर थोपा नहीं जा सकता। मेरा धर्म (इस्लाम) और कानून इसे गाने की इजाजत नहीं देता है। हम विधानसभा में भी इसका विरोध करेंगे।''
- दूसरी ओर, महाराष्ट्र के सपा नेता और विधायक अबु आजमी ने कहा, ''मैं राष्ट्रगीत नहीं गा सकता हूं, चाहे देश से बाहर क्यों ना निकाल दिया जाऊं। आरएसएस के इशारे पर बीजेपी समाज को बांटने की कोशिश कर रही है। मैं इस्लाम का सच्चा फॉलोअर हूं। इसे गाना मेरे धर्म के खिलाफ है। कोई भी मुसलमान इसे कभी नहीं गाएगा।''
सीएम से ऑर्डर जारी करने की मांग: पुरोहित
- असेंबली के चीफ व्हिप (मुख्य सचेतक) राज पुरोहित ने गुरुवार को कहा, ''मैंने सीएम देवेंद्र फडणवीस के मुलाकात की। हम चाहते हैं कि सीएम सभी के लिए वंदे मातरम् गाया जाना अनिवार्य करें। सभी इवेंट्स में की शुरुआत में राष्ट्रगीत और आखिर में जन-गण-मन कराए जाने के लिए ऑर्डर जारी करने की मांग है। इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाएंगे।''
- शिवसेना नेता भी पुरोहित के साथ खड़े दिख रहे हैं। शिवसेना के सीनियर लीडर और ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर दिवाकर राउत ने कहा कि वंदे मातरम् का विरोध करने वाले गद्दार हैं। उन्हें जान लेना चाहिए कि इस गीत को हमारे स्वतंत्रता सेनानी आजादी की लड़ाई के दौरान लोगों में देशभक्ति की भावना जगाने के लिए गाते थे।
मद्रास हाईकोर्ट ने फैसले में क्या कहा?
- दरअसल, 25 जुलाई को मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु के सभी स्कूल-कॉलेजों, सरकारी दफ्तर और संस्थानों में राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम्' गाना अनिवार्य करने का ऑर्डर दिया। सुनवाई के दौरान जज ने कहा- ''देशभक्ति हर नागरिक के लिए जरूरी है। सभी को समझना चाहिए कि देश मातृभूमि होती है। इसकी आजादी के लिए कई लोगों कुर्बानी दी है।
- कोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा है कि हर सरकारी दफ्तर, प्राइवेट कंपनी और फैक्ट्रियों में हफ्ते में एक बार राष्ट्रगीत गाना जरूरी होगा। अगर इसके संस्कृत और बंगाली भाषा में होने के चलते कोई परेशानी आए तो सरकार तमिल में अनुवाद करा इसे सभी सरकारी वेबसाइट्स पर अपलोड करे।
- बता दें कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में सभी सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान 'जन-गण-मन' गाया जाना अनिवार्य करने का ऑर्डर दिया था।

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