आखिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ टूट गई थी राजीव गांधी- अमिताठबचà¥à¤šà¤¨ की गहरी दोसà¥à¤¤à¥€
à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ राजीव गांधी का आज जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ है. उनका जनà¥à¤® 20 अगसà¥à¤¤ 1944 को हà¥à¤† था. उनकी बॉलीवà¥à¤¡ अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¤¾ अमिताठबचà¥à¤šà¤¨ से गहरी दोसà¥à¤¤à¥€ थी लेकिन बाद में दोनों के रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के बीच कड़वाहट आ गई, जानें- कà¥à¤¯à¤¾ थी वजह.राजीव और अमिताठबचपन के दोसà¥à¤¤ थे. अमिताठके पिता हरिवंश राय बचà¥à¤šà¤¨ और राजीव गांधी के नाना और à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ जवाहर लाल नेहरू दोसà¥à¤¤ थे इसलिठराजीव और दोनों बचपन से à¤à¤• दूसरे को जानते थे और उनका बचपन साथ में बीता था.अमिताठने अपनी और राजीव की पहली मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤ के बारे में बात करते हà¥à¤ बताया था कि जब हम दोनों पहली बार मिले थे तब मैं 4 साल का था और राजीव 2 साल का. हम à¤à¤• फैंसी डà¥à¤°à¥‡à¤¸ कॉमà¥à¤ªà¥€à¤Ÿà¥€à¤¶à¤¨ में बैंक रोड (इलाहाबाद में अमिताठबचà¥à¤šà¤¨ का घर) पर थे. राजीव उस समय फà¥à¤°à¥€à¤¡à¤® फाइटर बना हà¥à¤† था. हम सब उस समय बहà¥à¤¤ छोटे थे कि ये à¤à¥€ नहीं जानते थे कि पंड़ित जवाहर लाल नेहरू का नाती हमारे बीच मौजूद है.कहा जाता है कि दोनों की दोसà¥à¤¤à¥€ इतनी गहरी थी कि जब राजीव पढ़ाई करने इंगà¥à¤²à¥ˆà¤‚ड गठथे तो वहां से हमेशा अमिताठको चिटà¥à¤ ी लिखते थे. जब राजीव जब इंगà¥à¤²à¥ˆà¤‚ड से देश वापस आठतो अमिताठके लिठजींस लेकर आठथे. अमिताठको यह जींस बहà¥à¤¤ पसंद आई और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सालों तक इस जींस को पहना था.13 जनवरी 1968 सोनिया गांधी जब इटली से à¤à¤¾à¤°à¤¤ आईं तब अमिताठअमिताठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ लेने गठथे. à¤à¤¾à¤°à¤¤ आने के 43 दिन बाद सोनिया की शादी राजीव गांधी से हà¥à¤ˆ थी, इस दौरान सोनिया अमिताठके घर उनके माता पिता के साथ ही रही थीं.अमिताठकी फिलà¥à¤® की शूटिंग के दौरान à¤à¥€ कई बार राजीव उनसे मिलने जाते थे. अमिताठने बताया था कि फिलà¥à¤® 'गंगा की सौगंध' की शूटिंग के दौरान à¤à¥€ राजीव मà¥à¤à¤¸à¥‡ मिलने जयपà¥à¤° आठथे.दोनों की दोसà¥à¤¤à¥€ 70 के दशक में à¤à¥€ रही और 80 के दशक में à¤à¥€. दोनों परिवार अकà¥à¤¸à¤° à¤à¤•-दूसरे के घर जाते थे. उस समय अमिताठबचà¥à¤šà¤¨ की पॉलिटिकà¥à¤¸ में आने की बातें होने लगी थीं.साल 1984 में अमिताठराजनीति में उतर आà¤. आम चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ में अमिताठइलाहाबाद सीट से उतरे और इन चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बड़े मारà¥à¤œà¤¿à¤¨ से जीत हासिल की. लेकिन अमिताठका राजनीतिक करियर काफी छोटा रहा.बोफोरà¥à¤¸ घोटाले को लेकर à¤à¤¸à¤¾ बवाल मचा कि अमिताठà¤à¥€ निशाने पर आने लगे. अमिताठने परेशान होकर 3 साल में ही इसà¥à¤¤à¥€à¤«à¤¾ दे दिया.राजीव को अमिताठका यह फैसला नागवार गà¥à¤œà¤°à¤¾ था.साल 1991 में राजीव गांधी की हतà¥à¤¯à¤¾ कर दी गई. इसके बाद दोनों परिवारों के बीच दूरियां शà¥à¤°à¥‚ हो गईं.बताया जाता है कि अमिताठको उनकी कंपनी à¤à¤¬à¥€à¤¸à¥€à¤à¤² में काफी घाटा हà¥à¤†. जिसमें अमर सिंह ने उनकी मदद की.इसके बाद अमिताठकी सपा से नजदीकी और कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ से दूरियां बढ़ने लगींसाल 2004 में अमिताठसे दोनों परिवारों के रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के बारे में पूछा गया तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि वे राजा हैं और हम रंक.