बापू ने आजादी की लड़ाई का जहां से किया था शंखनाद, वहां खड़ा है विशाल कलà¥à¤ªà¤µà¥ƒà¤•à¥à¤·
बिलासपà¥à¤°à¥¤ 89 वरà¥à¤· पहले राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¿à¤¤à¤¾ महातà¥à¤®à¤¾ गांधी के कदम बिलासा की धरती पर पड़े थे। तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शनिचरी पड़ाव में आजादी की लड़ाई का शंखनाद किया था। जिस जगह पर बापू ने लोगों को संबोधित किया था। उनकी याद को चिरसà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ बनाने के लिठशहर के चà¥à¤¨à¤¿à¤‚दा लोगों ने तब वहां कलà¥à¤ªà¤µà¥ƒà¤•à¥à¤· का पौधा रोप दिया था । बापू तो नहीं रहे पर उनकी याद आज à¤à¥€ यहां जिंदा है। कलà¥à¤ªà¤µà¥ƒà¤•à¥à¤· का छोटा सा पौधा आज विशाल पेड़ में तबà¥à¤¦à¥€à¤² हो गया है। बापू के साथ कसà¥à¤¤à¥‚रबा गांधी à¤à¥€ साथ आईं थीं । वे à¤à¥€ शनिचरी पड़ाव की सà¤à¤¾ में शामिल हà¥à¤ˆ थी । राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¿à¤¤à¤¾ की यादें आज à¤à¥€ बिलासपà¥à¤° में जिंदा हैं। तब देश में अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ का राज था। गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ से छà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤°à¤¾ दिलाने और लोगों को अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ राज के खिलाफ सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ करने महातà¥à¤®à¤¾ गांधी देश à¤à¥à¤°à¤®à¤£ पर निकले थे। à¤à¥à¤°à¤®à¤£ काल में 21 सितंबर सन 1930 को उनका बिलासपà¥à¤° आना हà¥à¤† था। उनके साथ कसà¥à¤¤à¥‚रबा गांधी à¤à¥€ थीं।
आजादी की लड़ाई में महातà¥à¤®à¤¾ गांधी के साथ कदम से कदम मिलाकर कसà¥à¤¤à¥‚रबा à¤à¥€ चल रहीं थीं । जय सà¥à¤¤à¤‚ठचौक पर लगे पतà¥à¤¥à¤° और उस पर लिखी गांधी की à¤à¤•-à¤à¤• बातें आज à¤à¥€ उनकी यादों को जिंदा रखे हà¥à¤ है। जय सà¥à¤¤à¤‚ठचौक पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आमसà¤à¤¾ को संबोधित किया था। उनको सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ उनकी à¤à¤• à¤à¤²à¤• पाने के लिठदूर दराज के गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से लोग पैदल और बैलगाड़ी में सवार होकर आठथे।
तब गांधीजी बिलासपà¥à¤° में दो दिन ठहरे थे। à¤à¤¾à¤Ÿà¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¤¾ से नारायणपà¥à¤° चौक होते हà¥à¤ सड़क मारà¥à¤— से 21 सितंबर की शाम छह बजे वे बिलासपà¥à¤° पहà¥à¤‚चे । तब गांधीवादी नेताओं में से à¤à¤• व आजादी की लड़ाई के à¤à¤• बड़े सिपाही के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले कà¥à¤‚जबिहारी अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ व समरà¥à¤¥à¤•à¥‹à¤‚ ने उनका आतà¥à¤®à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया ।
गांधीजी व उनकी पतà¥à¤¨à¥€ कसà¥à¤¤à¥‚रबा कà¥à¤‚जबिहारी अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ के आवास में ही ठहरे। बिलासपà¥à¤° व आसपास के लोगों के अलावा सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ की लड़ाई लड़ रहे जाबांजों को तीन दिन पहले से ही इस बात की जानकारी दे दी गई थी कि गांधी जी का पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ हो सकता है। लिहाजा वे अपनी तैयारी पूरी रखें ।
21 सितंबर की रात में ही लोगों के आने का सिलसिला शà¥à¤°à¥‚ हो गया था । कà¥à¤‚जबिहारी के आवास के सामने लोगों की à¤à¤¾à¤°à¥€ à¤à¥€à¥œ इकठà¥à¤ ी हो गई थी। लोगों की à¤à¥€à¥œ जब बà¥à¥€ तब गांधी जी खà¥à¤¦ होकर आवास से बाहर आ गठऔर लोगों के साथ जमीन पर बिछी दरी में बैठगठऔर सहजता के साथ उनसे बात करने लगे।
रात 10 बजे तक वे लोगों के बीच बैठकर आपस में चरà¥à¤šà¤¾ करते रहे । 10 बजे वे सोने चले गà¤à¥¤ लोग पंडाल के नीचे बिछी दरी पर ही सो गठ। सà¥à¤¬à¤¹ के वकà¥à¤¤ गांधी जी की सà¤à¤¾ थी । लिहाजा पà¥à¤°à¤®à¥à¤– लोग रात à¤à¤° बैठकर तैयारी करते रहे । सà¥à¤¬à¤¹ 10 बजे अरपा नदी के किनारे सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शनिचरी पड़ाव में लोगों की à¤à¤¾à¤°à¥€ à¤à¥€à¥œ इकठà¥à¤ ी हो गई थी ।
....तब महिलाओं ने अपने जेवर निकाल à¤à¥‹à¤²à¥€ में डाल दिà¤
22 सितंबर को गांधी जी कसà¥à¤¤à¥‚रबा गांधी और समरà¥à¤¥à¤•à¥‹à¤‚ के साथ सà¥à¤¬à¤¹ चार बजे विवेकानंद उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ पहà¥à¤‚चे । à¤à¤• घंटे पैदल चलने के बाद वहां मौजूद शहरवासियों के बीच बैठे । इसमें महिलाओं की संखà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ काफी अधिक थी । कसà¥à¤¤à¥‚रबा गांधी ने आजादी की लड़ाई के लिठआरà¥à¤¥à¤¿à¤• सहयोग देने की बात कही।
उनका इतना कहना था कि विवेकानंद उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में मौजूद महिलाओं ने अपने जेवर उतार कसà¥à¤¤à¥‚रबा की à¤à¥‹à¤²à¥€ में डाल दिà¤à¥¤ महिलाओं के साथ ही पà¥à¤¸à¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ ने कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ ही किया। हाथ में पहने घड़ी, गले में चेन और अंगूठी को निकालकर आजादी की लड़ाई के लिठअपने तरफ से दान कर दिया ।
दोपहर 12 बजे कà¥à¤‚जबिहारी के साथ शनिचरी पड़ाव सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सà¤à¤¾à¤¸à¥à¤¥à¤² पहà¥à¤‚चे। वहां लोगों को संबोधित किया। सà¤à¤¾ के बाद दो घंटे सà¤à¤¾ सà¥à¤¥à¤² में ही बैठकर लोगों से मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤ की । शाम के वकà¥à¤¤ मà¥à¤‚बई हावड़ा मेल से कोलकाता के लिठरवाना हो गà¤à¥¤
जहां आजादी की लड़ाई का फूंका था बिगà¥à¤² वहां आज जय सà¥à¤¤à¤‚ठचौक
22 सितंबर 1930 को गांधी जी ने शनिचरी पड़ाव के जिस मैदान पर आजादी की लड़ाई के लिठबिगà¥à¤² फूंका था उसी जगह पर उनकी याद में आजादी के दीवानों ने जय सà¥à¤¤à¤‚ठचौक बना दिया था। जय सà¥à¤¤à¤‚ठचौक के साथ ही जहां सà¤à¤¾ सà¥à¤¥à¤² बनाया गया था वहां गांधी चबूतरा बना दिया है।