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बैकों में हड़ताल के पहले एटीएम में डाल दिए थे 30 करोड़, नहीं आएगी दिक्कत

निजीकरण के विराेध में साेमवार व मंगलवार काे ग्वालियर में 12 बैंकाें की 200 शाखाआें में तालाबंदी रही। एेसे में ग्राहकाें काे कैश काे लेकर परेशान नहीं हाेना पड़े इसलिए प्रबंधन ने कैश संबंधित जरूरताें काे पूरा करने के लिए तीस कराेड़ रुपये कैश भरने वाली एजेंसियाें काे दे दिए थे। इसी वजह से एटीएम में कैश फुल है। इसके चलते ग्राहकाें काे मंगलवार काे भी कैश के लिए परेशान नहीं हाेना पड़ेगा।

अखिल भारतीय बैंक हड़ताल के दूसरे दिन मंगलवार को भी बैंक कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। बैंकाे का निजीकरण किए जाने के केंद्र सरकार के प्रयासों का बैंक कर्मचारियों ने दो दिवसीय हड़ताल के माध्यम से विरोध किया । मध्यप्रदेश सेंट्रल बैंक आफिसर्स यूनियन के प्रदेश सचिव आरके शुक्ला ने बताया कि सरकार की जनविरोधी नीतियों व देश की सरकारी बैंकों के निजीकरण के विरोध में पूरे देश मे राष्ट्रव्यापी हड़ताल की गई है, जो 2 दिन तक चलेगी। विरोध प्रदर्शन में अजय गुप्ता, आलोक रोहतगी, हेमंत सक्सेना, सौरभ सक्सेना, निशांत मजूमदार, विकास वर्मा, श्वेता वर्मा, आरती परमार, प्रियंका दुबे, ऋतु जैन, दिनेश रमैया, अखिलेश खरे, सतीश राणा, अश्विनी गुप्ता और आनंद पाल शामिल थे। इन सदस्यों का कहना है कि सरकार के द्वारा अपने वित्तीय बजट में 2 सरकारी बैंकों का निजीकरण कर उन्हें कारपोरेट घरानों को बेचने का प्रस्ताव रखा है। इतना ही नहीं अन्य सरकारी उपक्रमों को बेचकर प्राइवेट लोगों को सौंपने का निर्णय लिया जा रहा है, लेकिन अब सरकार द्वारा 2 से बढ़ाकर 4 बैंको का निजीकरण किए जाने का निर्णय लिया है। इससे आम जनता की पूंजी से खिलवाड़ हो रहा है। बैंक तो देश की धरोहर हैं, जिन्हें 19 जुलाई 1969 में इंदिरा गांधी की सरकार ने पूंजीपतियों से लेकर आम जनता को सरकारीकरण कर सौंपा था।विरोध करने वाले सदस्यों को कहना है सरकार की नई व्यवस्था से युवाओं से रोजगार के मौके छिन जाएंगे। जीरो बैलंस पर गरीबों के खाते नहीं खुल पाएंगे। बेरोजगार रोजगार के लिए लोन नहीं ले पाएंगे और सरकारी योजनाओं का भी आम जनता को लाभ नहीं मिलेगा। सरकारी बैंकों से जो लाभ कमाया जाता है, उसे देश की योजनाओं को पूर्ण करने में भी लगाया जाता है। सरकारी बैंकों का निजीकरण कर हर हाल में देश एवं आम जनता के विपरीत है।

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