Homeदेश विदेश,
किसकी होगी असली शिवसेना? शिंदे बनाम उद्धव की लड़ाई के बीच आया मुख्य चुनाव आयुक्त का रिएक्शन

किसकी होगी असली शिवसेना? यह तय करने का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने भारत के निर्वाचन आयोग पर छोड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने और पार्टी का चुनाव चिह्न ‘तीर-कमान’ आवंटित करने संबंधी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की याचिका की सुनवाई पर आगे बढ़ने के लिए मंगलवार को निर्वाचन आयोग (ECI) को अनुमति दे दी। अब इस बेहद चर्चित मामले पर भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त का भी रिएक्शन आ गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार इस समय गुजरात के दो दिवसीय दौरे पर हैं। प्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग (ईसी) इस मामले में पूरी तरह से पारदर्शी होगा और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की याचिका पर 'बहुमत का नियम' लागू करेगा।  

बता दें कि न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने उद्धव ठाकरे नीत खेमे की याचिका खारिज कर दी, जिन्होंने ‘मूल’ शिवसेना होने के शिंदे खेमे के दावे पर फैसला करने से निर्वाचन आयोग को रोकने का अनुरोध किया था। पीठ में न्यायमूर्ति एम आर शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा भी शामिल थे। संविधान पीठ ने कहा, ‘‘हम निर्देश देते हैं कि निर्वाचन आयोग के समक्ष कार्यवाही पर कोई रोक नहीं होगी।’’

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि चुनाव निकाय के पास 'बहुमत के नियम' की एक पारदर्शी प्रक्रिया है और मामले को देखते हुए इसे लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा, “पहले से ही एक निर्धारित प्रक्रिया है। वह प्रक्रिया हमें अधिकार देती है और हम ‘बहुमत का नियम’ लागू करके इसे बेहद पारदर्शी प्रक्रिया के तौर पर परिभाषित करते हैं। जब भी हम इस मामले पर गौर करेंगे तो ‘बहुमत का नियम’ लागू करेंगे। उच्चतम न्यायालय का फैसला पढ़ने के बाद यह किया जाएगा।” वह आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों के संबंध में चुनावी तैयारियों का जायजा लेने के लिए गांधीनगर में थे।

इससे पहले उद्धव ठाकरे खेमे की ओर से सुप्रीम कोर्ट न्यायालय में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि चुनाव चिह्न आदेश तभी लागू किया जा सकता है, जब दावा करने वाला उसी राजनीतिक दल से हो, लेकिन दावा एक विरोधी खेमा का हो। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा कहना है कि शिंदे पार्टी में अब नहीं हैं और सदस्यता त्याग दी गई है। ऐसे में, निर्वाचन आयोग उनकी सुनवाई कैसे करेगा?’’ सिब्बल ने इस साल जून में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करने वाले शिंदे और शिवसेना के कुछ अन्य विधायकों के खिलाफ आयोग्यता नोटिस जारी किये जाने का हवाला देते हुए यह कहा।

निर्वाचन आयोग की ओर से न्यायालय में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दतार ने कहा कि आयोग यह फैसला करने के लिए स्वतंत्र है कि किस खेमे में अधिक विधायक हैं। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि आयोग सिर्फ यह फैसला कर रहा है कि कौन सा खेमा ‘मूल’ शिवसेना है और इसलिए उसे शिंदे की याचिका पर आगे बढ़ने की अनुमति दी जाए। पीठ शिवसेना के शिंदे खेमे की बगावत के कारण महाराष्ट्र में पैदा हुए राजनीतिक संकट से जुड़े लंबित मामलों पर सुनवाई कर रही है। शिंदे नीत खेमे की बगावत के चलते राज्य में महा विकास आघाड़ी की सरकार गिर गई थी।

Share This News :