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एक माह मांगलिक कार्यों पर विराम

पंचांगीय गणना के अनुसार 15 मार्च को सूर्य कुंभ राशि को छोड़कर मीन राशि में प्रवेश कर गए हैं। यह सूर्य की मीन संक्रांति कहलाएगी। सूर्य की इस संक्रांति को मल मास भी कहा जाता है। धर्मशास्त्रीय मान्यता के अनुसार मल मास में एक माह विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे। श्रद्धालु मास पर्यंत तीर्थाटन व धर्म आराधना करेंगे।भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रहों के राशि परिवर्तन तथा उस राशि में उनके परिभ्रमण काल का उल्लेख मिलता है। ग्रहों के विभिन्न राशियों में प्रवेश व परिभ्रमण का समय अलग-अलग है। सूर्य हर माह एक राशि पर परिभ्रमण करते हैं। इस दृष्टि से 12 माह में सूर्य का 12 राशि पर परिभ्रमण होता है। यही परिभ्रमण की अवस्था सूर्य की संक्रांति कहलाती है। 15 मार्च की अलसुबह 6.20 पर सूर्य का मीन राशि में प्रवेश हुआ है।मीन राशि का अधिपति बृहस्पति है, जो धार्मिक कार्य एवं तीर्थाटन की दृष्टि से श्रेष्ठ माना जाता है। मीन राशि पर सूर्य की संक्रांति खरमास या मलमास की श्रेणी में आती है। धर्म शास्त्रीय मान्यता अनुसार जब सूर्य की मीन संक्रांति हो तब विवाह, यज्ञोपवीत, मुंडन आदि कार्य निषिद्ध माने जाते हैं। इस दृष्टि से 15 अप्रैल तक एक माह मांगलिक कार्य नहीं होंगे।
ग्रह गोचर में पहले से ही मीन राशि पर बृहस्पति का गोचर चल रहा है। सूर्य का मीन राशि में प्रवेश करने के साथ गुरु सूर्य की युति बन जाएगी। यह गुरु आदित्य योग कहलाता है। इस योग में भी धर्म यात्रा मंदिर पूजन विशिष्ट अनुष्ठान आदि अनुकूल माने जाते हैं।

 

 

 

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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