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ऐसा-वैसा नहीं... बेहद खास है ये मंदिर, भगवान शिव ने खुद की थी स्थापना; द्वापर से जुड़ा है किस्सा

पुराने आगरा के रावतपाड़ा में स्थित मनकामेश्वर मंदिर है. इस मंदिर का संबंध भगवान श्री कृष्ण, महादेव और द्वापर से है. मान्यता है कि यहां शिवलिंग की स्थापना खुद भगवान शिव ने द्वापर युग में की थी. प्रचलित कथा के अनुसार, मथुरा में श्रीकृष्ण के जन्म के बाद उनके बाल-रूप के दर्शन की कामना लेकर कैलाश से चले शिव ने एक रात यहां बिताई और साधना की थी.

भगवान महादेव की मानो इच्छा थी कि अगर वह कान्हा को अपनी गोद में खिला पाए, तो यहां एक शिवलिंग की स्थापना करेंगे. अगले दिन जब वह गोकुल पहुंचे, तो यशोदा मैया ने उनके भस्म-भभूत और जटाजूट धारी रूप को देख कर मना कर दिया कि कान्हा उन्हें देख कर डर जाएगा. तब शिव वहीं एक बरगद के पेड़ के नीचे ध्यान लगा कर बैठ गए. शिव को आया जान कन्हैया ने लीला शुरू कर दी और रोते-रोते शिव की तरफ इशारा करने लगे. तब यशोदा माई ने शिव को बुला कर कान्हा को उनकी गोद में दिया. इस तरह भगवान महादेव की मनोकामना पूरी हुई.

हर भक्ति होती है मनोकामना पूरी

धार्मिक मान्यता है कि मनकामेश्वर महादेव मंदिर में जो कोई भी श्रद्धा से 7 सोमवार माथा टेकता है, तो उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है. सैकड़ों की तादाद में सुबह भगवान महादेव के श्रृंगार के दर्शन करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती है. इस मंदिर की खासियत है कि बिना मंदिर में अंदर प्रवेश किए ही बाहर से भगवान महादेव के दर्शन किए जा सकते हैं. इनके ऊपर चांदी का छत्र चढ़ा हुआ है. साथ ही मंदिर में अखंड ज्योति जलती है.

 

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