फिल्म इमरजेंसी को मंजूरी देने से पहले आपत्तियों पर विचार करें, कोर्ट ने CBFC को निर्देश दिया
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में अभिनेत्री कंगना रनौत द्वारा निर्देशित फिल्म इमरजेंसी का प्रसारण रोके जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की तरफ से बताया गया कि अभी तक सेंसर बोर्ड से प्रमाण पत्र नहीं मिला है। सिर्फ ऑनलाइन नंबर जनरेट जारी किया गया है।हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं की आपत्ति पर सुनवाई करते हुए विधिक प्रावधानों के अनुसार, बोर्ड फिल्म के प्रसारण के संबंध में निर्णय लें। जबलपुर सिख संगत तथा श्रीगुरु सिंह सभा इंदौर की तरफ से कंगना रनौत की आगामी फिल्म इमरजेंसी के प्रसारण रोक लगाने की मांग करते हुए उक्त याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया है कि फिल्म के ट्रेलर में सिख समुदाय को अत्यंत नकारात्मक रूप में प्रदर्शित किया गया है। फिल्म के ट्रेलर में वोट के बदले खालिस्तान की मांग करना तथा सिख समुदाय के व्यक्तियों द्वारा लोगों को बस से उतारकर उनकी गोली मारकर हत्या करना बताया गया है।
याचिका में कहा गया है कि फिल्म के प्रदर्शन से देश में सांप्रदायिक द्वेष उत्पन्न होगा। इसके अलावा सिख समाज की छवि धूमिल होगी, जिससे सिख समाज में आक्रोश व्याप्त है। फिल्म के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग करते हुए केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को भी आवेदन भेजा गया था। आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण उक्त याचिका दायर की गई है।
याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की तरफ से न्यायालय को बताया गया कि बायोग्राफिकल ड्रामा को अभी तक प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है। फिल्म छह सितंबर को निर्धारित तिथि पर रिलीज नहीं होगी। युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से कहा कि सिर्फ फिल्म का ट्रेलर देखकर उक्त याचिका दायर की गई है। आप ने यह भी पूर्वानुमान लगा लिया कि फिल्म के प्रदर्शन से देश में सांप्रदायिक द्वेष उत्पन्न होगा। युगलपीठ ने उक्त आदेश के साथ याचिका का निराकरण कर लिया। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता एनएस रूपराह ने पैरवी की।