चुनाव आयोग की दो टूक- EVM से छेड़छाड़ की बातें बेबुनियाद -बैटरी-नतीजों से संबंध नहीं
हरियाणा विधानसभा चुनाव की मतगणना के दौरान ईवीएम पर उठे सवालों को लेकर आयोग के सूत्रों ने बताया कि ईवीएम की विश्वसनीयता पूरी तरह प्रासंगिक है। इसमें किसी तरह का छेड़छाड़ संभव नहीं है। विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से बैटरी को लेकर जो शंकाएं उठाई गई हैं वे पूरी तरह निराधार हैं। ईवीएम में अल्कालाइन बैटरी होती है जो खुद चार्ज होती है। चुनाव आयोग के सूत्रों ने कांग्रेस नेताओं के उन दावों का जवाब दिया जिसमें कहा गया था कि हिसार, महेंद्रगढ़ और पानीपत से शिकायतें मिली हैं कि 99 प्रतिशत बैटरी वाली ईवीएम पर भाजपा जीती जबकि 60-70 प्रतिशत बैटरी वाली मशीनों पर कांग्रेस जीती।
कांग्रेस ने क्या लगाए थे आरोप?
दरअसल कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मंगलवार को कहा, क्या आप इस साजिश को समझ गए हैं? जहां ईवीएम में 99 प्रतिशत बैटरी थी, वहां भाजपा जीती। जहां 70 प्रतिशत से कम बैटरी थी, वहां कांग्रेस जीती। अगर यह साजिश नहीं है तो क्या है? चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि ईवीएम की कंट्रोल यूनिट में एल्केलाइन बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने बताया कि कमीशनिंग के दिन उम्मीदवारों की मौजूदगी में कंट्रोल यूनिट में नई बैटरी डाली जाती है और उसे सील कर दिया जाता है।
क्या है EVM के बैटरी की क्षमता?
उन्होंने बताया कि शुरुआत में बैटरी 7.5 से 8 वोल्ट के बीच वोल्टेज देती है। इसलिए, जब वोल्टेज 7.4 से ऊपर होता है, तो बैटरी की क्षमता 99 प्रतिशत प्रदर्शित होती है। ईवीएम के उपयोग के साथ, इसकी बैटरी की क्षमता और परिणामस्वरूप वोल्टेज कम हो जाता है। जैसे ही वोल्टेज 7.4 से नीचे चला जाता है, बैटरी की क्षमता 98 प्रतिशत से 10 प्रतिशत के रूप में प्रदर्शित होती है। जब बैटरी में 5.8 वोल्ट से अधिक होता है, तो नियंत्रण इकाई कार्यात्मक रहती है। यह तब होता है जब इसकी क्षमता 10 प्रतिशत से अधिक रह जाती है और नियंत्रण इकाई के डिस्प्ले पर बैटरी बदलने की चेतावनी दिखाई देती है। यह एक वाहन में प्रदर्शित सिग्नल के समान है जब वह आरक्षित ईंधन पर चल रहा होता है। मतगणना के दिन बैटरी की शेष क्षमता नियंत्रण इकाई पर किए गए मॉक पोल, वास्तविक पोल और बैटरी के प्रारंभिक वोल्टेज (8 से 7.5 वोल्ट) पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि आम तौर पर, क्षारीय बैटरी में स्विच ऑफ रखने पर कुछ हद तक अपना वोल्टेज वापस (चार्ज) पाने का गुण होता है।
कांग्रेस और चुनाव आयोग में जमकर पत्राचार
कुल मिलाकर हरियाणा विधानसभा के चुनावी नतीजों को लेकर कांग्रेस और चुनाव आयोग में जमकर पत्राचार हुआ। कांग्रेस ने मतगणना को धीमे करने का आरोप लगाया तो आयोग ने पलटवार करते हुए इसे तथ्यहीन और सबूतों के अभाव में की गई सोशेबाजी करार दिया। इस संदर्भ में कांग्रेस नेता को चुनाव आयोग ने विस्तार से लिखे पत्र में कहा कि उसके आंकड़े नियमानुसार अपने समय से अपडेट किए जा रहे हैं। समस्त चुनावी प्रक्रिया एक तय कार्ययोजना के तहत संचालित की जाती हैं। इसमें कैसे भी बाहरी और तत्कालिक हस्तक्षेप संभव नहीं होता है।
चुनाव आयोग ने कांग्रेस के आरोप को बताया तथ्यों से परे
चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश के आरोपों को गैर जिम्मेदाराना और तथ्यों से परे बताया। आयोग ने कहा कांग्रेस के ज्ञापन के विषय में वह यह कहना चाहता है कि मतगणना वैधानिक कार्ययोजना, उम्मीदवारों, पर्यवेक्षकों, माइक्रो पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में चल रही है। कांग्रेस नेता ने परिणामों को अपडेट करने में देरी का निराधार आरोप लगाया है, उनके पास आरोपों को साबित करने के लिए कोई तथ्य नहीं दिया गया है।
लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने लगाए थे ऐसे आरोप
उन्होंने कहा कांग्रेस ने आम चुनावों के दौरान भी इस तरह की चिंताएं जाहिर की थी। तब भी संपूर्ण प्रक्रिया सुचारू और पारदर्शी तरीके से चल रही थी। उन्होंने कहा कांग्रेस के ज्ञापन में किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में हो रही कैसी भी देरी को लेकर दावों को सत्यापित करने के लिए कोई तथ्य नहीं दिया गया। आयोग ने कहा कि वह बताना चाहता है कि अपटेड नियमित रुप से हो रहा है। कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर चुनाव आयोग को तत्काल ज्ञापन प्रेषित किया था, इसमें आरोप लगाया गया था कि चुनाव आयोग जानबूझकर चुनावी नतीजों को धीमा कर रहा है। इससे कांग्रेस के जीते हुए प्रत्याशियों की टेली अपडेट नहीं हो पा रही है। इस पर आयोग ने तत्काल ही कांग्रेस के आरोपों को खारिज कर दिया था।