महामंडलेश्वर के बयान पर IAS शैलबाला मार्टिन का पलटवार, बोलीं
मंदिर में लाउडस्पीकर पर सवाल उठाने के बाद विवाद बढ़ता जा रहा है। मध्य प्रदेश कैडर की आईएएस अधिकारी और सामान्य प्रशासन विभाग की अपर सचिव शैलबाला मार्टिन ने इस मुद्दे पर महामंडलेश्वर अनिलानंद की टिप्पणी का सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर जवाब दिया है। महामंडलेश्वर ने मार्टिन को देश छोड़ने का सुझाव दिया था, जिस पर उन्होंने कहा कि यह देश उतना ही उनका है जितना कि किसी अन्य का और संविधान के तहत उन्हें इस देश में रहने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है।मार्टिन ने अपने ट्वीट में बताया कि लाउडस्पीकर और डीजे के शोर पर ध्यान दिलाना उनकी व्यक्तिगत राय नहीं बल्कि संविधान प्रदत्त अधिकार है। उन्होंने कहा कि उन्होंने एक ट्वीट पर रीट्वीट करते हुए पूछा था कि मंदिरों में लाउडस्पीकर के शोर से भी ध्वनि प्रदूषण होता है, जिस पर किसी को आपत्ति नहीं होती। उन्होंने लिखा कि ध्वनि प्रदूषण चाहे किसी भी धार्मिक स्थल से हो, यह स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक है।
देश छोड़ने का अधिकार किसी के पास नहीं
महामंडलेश्वर की टिप्पणी पर आईएएस अधिकारी ने पलटवार करते हुए लिखा कि कोई भी मुझे इस देश से निकाल नहीं सकता, यह देश मेरा भी उतना ही है जितना आप सबका। संविधान ने मुझे और अन्य नागरिकों को समान अधिकार दिए हैं। उन्होंने कहा कि किसी नागरिक को देश छोड़ने की धमकी देना संविधान के विरोध में है। मार्टिन ने जोर देकर कहा कि उनके पुरखे इस देश की सेना में रहकर लड़े हैं और इसी देश की माटी में दफन हुए हैं। ऐसे में इस देश पर उनका अधिकार कोई भी छीन नहीं सकता।
सर्वधर्म समभाव में विश्वास
शैलबाला मार्टिन ने कहा कि वे सर्वधर्म समभाव में विश्वास रखती हैं और उनके विचार किसी धर्म विशेष के प्रति पक्षपाती नहीं हैं। उन्होंने अपने बयान में यह भी बताया कि वे कई बार अन्य धार्मिक स्थलों और मठों पर हो रही अनियमितताओं के खिलाफ भी अपनी राय व्यक्त कर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि शोर चाहे मंदिर से हो या मस्जिद से एक सीमा से अधिक शोर किसी के हित में नहीं है।
हम दोनों धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखते हैं
मार्टिन ने अपने पति के बारे में बात करते हुए मार्टिन ने कहा कि उनके पति डॉ. राकेश पाठक हिंदू हैं और गांधीवादी विचारधारा के समर्थक हैं। उन्होंने कहा कि दोनों ही सर्वधर्म समभाव में विश्वास रखते हैं और एक दूसरे के धर्म, संस्कृति, और परंपराओं का सम्मान करते हैं।